फ्लोरिडा में हाल ही में शोधकर्ताओं ने मधुमक्खी की एक दुर्लभ प्रजाति को फिर से खोज निकालने का दावा किया है, जिसे आखिरी बार साल 2016 में देखा गया था उसके बाद से ये मधुमक्खी दिखी नहीं है. कुछ लोगों को यह लग रहा था कि यह विलुप्त हो गई है. दरअसल, फ्लोरिडा विश्वविद्यालय के फ्लोरिडा म्यूजियम ऑफ नेचुरल हिस्ट्री के लिए काम करने वाले शोधकर्ता चेस किमेल ने इस मधुमक्खी को गलती से खोज लिया था. असल में वह इस साल की शुरुआत में किसी दूसरी परियोजना (प्रोजेक्ट) पर काम कर रहे थे, जब उन्हें नीली कैलेमिंटा मधुमक्खी दिखाई दी. तब उन्हें नहीं पता था कि यह मधुमक्खी दुर्लभ है. उन्होंने तो बस अपने कैमरे में इसकी तस्वीरें इसलिए खींच ली थी कि नीली मधुमक्खी उन्हें बाकी मधुमक्खियों की तरह नहीं लगी. बता दें की नीली मधुमक्खी को पहले फ्लोरिडा स्टेट वाइल्डलाइफ एक्शन प्लान द्वारा संरक्षण की श्रेणी में सूचीबद्ध दिया गया था और मध्य फ्लोरिडा के चार छोटे क्षेत्रों में केवल 16 वर्ग मील के इलाके में इसे देखा गया था. इसी आधार पर फिर बाद में चेस किमेल ने इसकी खोजबीन शुरू कर दी. एक चैनल को दिए इंटरव्यू में उन्होंने बताया कि यह अभी भी बहुत दुर्लभ है और इसे खोजने में कई घंटे और दिन लग सकते हैं. शोधकर्ताओं की एक टीम ने शुरुआत में मधुमक्खियों की प्रवृति पर डाटा एकत्र करने के लिए स्वयंसेवकों के एक बड़े समूह को भेजने की योजना बनाई थी, लेकिन कोरोना वायरस महामारी के वजह से यह संभव नहीं हो सका. फिलहाल चेस किमेल ही अकेले शोधकर्ता हैं, जो नीली मधुमक्खी की खोज में लगे हुए हैं. जानकारी के लिए बता दें कि दुनियाभर में मधुमक्खियों की 20 हजार से भी ज्यादा प्रजातियां हैं. इनमें नीली मधुमक्खी ही अब दुर्लभ हो गई है. वैसे आमतौर पर लोग सभी तरह की मधुमक्खियों से डरते हैं कि कहीं वो डंक न मार दे, लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि ज्यादातर मधुमक्खियां किसी को डंक नहीं मारतीं है. आपको ये जानकर तो और भी ज्यादा हैरानी होगी कि केवल मादा मधुमक्खी ही डंक मारती है, नर मधुमक्खी नहीं. अरब अंतरिक्ष सहयोग समूह की बैठक में इन मुद्दों पर हुई चर्चा निवेशकों को लुभाने में नाकाम रहा रहत पैकेज, इस हफ्ते भी गिरावट में बंद हुआ शेयर बाजार बिहार : इस स्थान पर कोरोना मरीजों के लिए है वेंटिलेटर और एंबुलेंस की कमी