ख़त्म हुई तलाश! इस देश की शिला से बनेगी 'रामलला' की प्रतिमा

अयोध्‍या: यूपी के अयोध्या में बन रहे राम मंदिर को लेकर बड़ी खबर सामने आ रही है। राम जन्‍मभूमि मंदिर के ग्राउंड फ्लोर के निर्माण की डेडलाइन अक्‍टूबर 2023 तय होने के पश्चात् अब रामलला की मूर्ति के निर्माण समय से पूरा करने की तैयारी आरम्भ हो गई है। रामलला की प्रतिमा साढ़े पांच फुट उंची खड़ी मुद्रा में बनेगी। इसके लिए शालिग्राम पत्‍थर की तलाश पूरी हो गई है। 

मंदिर ट्रस्‍ट के सदस्‍य कामेश्‍वर चौपाल को नेपाल की गंडकी नदी के क्षेत्र से इस पत्‍थर की व्‍यवस्‍था के लिए भेजा गया था। उन्‍होंने कहा कि 7 फीट गुणा 5 फीट आकार की शालिग्राम की शिला निकाल ली गई है। जनकपुर में 27 जनवरी को इसकी पूरे विधि-विधान के साथ पूजन होगा। पूजन एवं साधु-संतों के अनुष्‍ठान के पश्चात् शालीग्राम प्रतिमा को जनकपुर से अयोध्‍या लाया जाएगा। इसे लाने के लिए मधुबनी- दरभंगा रास्‍ते को चुना गया है।

शिलायात्रा के चलते इसका पूजन और स्वागत दरभंगा, मधुबनी, मोतिहारी, गोपालगंज और गोरखपुर मंदिर में होगा। तत्पश्चात, शालीग्राम पत्थर को अयेाध्‍या लाया जाएगा। कामेश्‍वर चौपाल ने बताया कि शालिग्राम शिला की यात्रा बसंत पंचमी के दिन यानी 27 जनवरी से जनकपुर से आरम्भ होगी। इसके 2 फरवरी तक अयोध्‍या पहुंचने की उम्‍मीद है। उन्‍होंने बताया कि नेपाल के लोगों को जब यह पता चला कि इसी शिला से रामलला का विग्रह बनेगा तो वहां इसके पूजन एवं स्‍वागत को लेकर खासा उत्‍साह नजर आ रहा है। कामेश्‍वर चौपाल ने कहा कि यह शालीग्राम शिला बहुत मंहगी है। हालांकि, इसे नेपाल सरकार के सौजन्‍य से प्राप्‍त कर लिया गया है। इस शालिग्राम शिला की धार्मिक महत्‍ता है। इसमें प्रभु श्री विष्‍णु का वास माना जाता है। शालिग्राम की शिला एवं प्रतिमा के बारे में कहा जाता है कि 6 तरह का लाभ होता है। सुखद जीवन, समृद्धि, बुरी शक्तियो से रक्षा, अच्‍छा स्‍वास्‍थ्‍य, विश्‍वव्‍यापी आनंद और भगवान की कृपा का योग इससे बनता है।

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