अहमदाबाद: गुजरात सरकार ने शनिवार को घोषणा की कि मॉब लिंचिंग को "गंभीर अपराध" माना जाएगा और ऐसी हत्याओं को उत्तेजित करने वाली कोई भी कार्रवाई भारतीय दंड संहिता की धारा 153 (ए) के तहत कवर की जाएगी, जिसमें तीन साल की जेल की सजा होगी. सरकार द्वारा जारी एक विज्ञप्ति में कहा गया है कि पुलिस आयुक्तों और पुलिस अधीक्षकों को उनके संबंधित क्षेत्र में ऐसे मामलों का नोडल अधिकारी बनाया जाएगा और फिर इस तरह की घटनाओं को नियंत्रित करना उनकी जिम्मेदारी रहेगी. जम्मू कश्मीर: नगरपालिका चुनाव का कार्यक्रम तय, 8 अक्टूबर से चार चरणों में होगा मतदान रिलीज में यह भी कहा गया है कि आईपीसी सेक्शन 153 (ए) के तहत सोशल मीडिया या किसी अन्य चैनल / माध्यम द्वारा उत्तेजक भाषण, उत्तेजक या आपत्तिजनक साहित्य / लेखन, लोगों की भावनाओं को नुकसान पहुँचाने वाली फ़र्ज़ी ख़बरों पर भी कार्यवाही की जाएगी. बीजेपी सरकार ने यह भी कहा कि वह तहसीन पुनावाला बनाम भारतीय संघ के मामले में सुप्रीम कोर्ट के 17 जुलाई के निर्देश पर कार्य कर रहा था, जिसमें सर्वोच्च न्यायालय ने कहा था कि गाय संरक्षण के नाम पर किसी को भी कानून अपने हाथ में लेने का अधिकार नहीं है. ओजोन दिवस विशेष : जीवन के लिए ऑक्सीज़न से ज्यादा ज़रूरी है ओज़ोन इससे पहले मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा और न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति डी वाई चन्द्रचुद की तीन न्यायाधीशीय खंडपीठ ने भी संसद से जुडी समस्याओं के लिए एक विशेष कानून बनाने के लिए कहा था. आपको बता दें कि हाल के महीनों में गुजरात में मॉब लिंचिंग का एक मामला देखा गया है, जिसमे 26 जून को अहमदाबाद में एक महिला की बच्चा चोरी करने के आरोप में पीट-पीटकर हत्या कर दी गई थी. खबरें और भी:- इस देश में रहते हैं 100 से अधिक उम्र वाले 70 हज़ार लोग सऊदी अरब ने विद्रोहियों की मिसाइलों को किया नष्ट, नहीं हुआ कोई घायल अमेरिका में फ्लोरेंस तूफान का प्रकोप, 30,000 लोग फसें, 7 लाख से ज्यादा घरों की बिजली गुल