नई दिल्ली: पांच फरवरी को पाकिस्तान में कश्मीर दिवस मनाया गया। इस अवसर पर भारत विरोधी पाकिस्तानियों ने हमारे कश्मीर को आजाद करने की मांग की, लेकिन वहीं पाक अधिकृत कश्मीर के हजारों मुसलामानों ने इस्लामाबाद में जोरदार प्रदर्शन किया। इन प्रदर्शनकारियों का कहना रहा कि पाकिस्तान की सरकार और आईएसआई मिलकर हम पर अत्याचार कर रहे हैं। यहां तक की हमें बोलने और लिखने तक की आजादी नहीं है। हमारे मासूम बच्चों पर अत्याचार किया जा रहा है। पाकिस्तानी सेना और पुलिस लगातार मानवाधिकारों का हनन कर रही है। जिस तरह से इस्लामाबाद में प्रदर्शन हुआ, उससे हमारे कश्मीर के अलगाववादियों और उनके समर्थकों को सबक लेना चाहिए। सब जानते हैं कि धारा 370 की वजह से भारत में कश्मीर को विशेष दर्जा मिला हुआ है। यहां तक कि भारत के संविधान के अनेक प्रावधान कश्मीर पर लागू नहीं होते हैं। कश्मीर घाटी में खुले आम भारत विरोधी गतिविधियां होती रहती हैं। इसके बावजूद भी अलगाववादियों के नेता पाकिस्तान के हिमायती बने हुए हैं। नेताओं को पीओके के मुसलमानों की दयनीय स्थिति को देखना चाहिए। सवाल उठता है कि जब पाकिस्तान अपने कब्जे वाले कश्मीर में ही मुसलमानों पर अत्याचार कर रहा है तो फिर हमारे कश्मीर के मुसलमानों के साथ क्या सलूक करेगा? यदि पाकिस्तान को हमारे कश्मीर के मुसलमानों की समस्याओं की इतनी ही चिन्ता है तो वह पहले पीओके के मुसलमानों पर अत्याचार करना बंद करें। कश्मीर में भारत विरोधी मुहिम चलाने वाले अलगाववादी माने या नहीं, लेकिन आज हमारे कश्मीर में मुसलमान जितने सकून और सुविधाओं के साथ रह रहे हैं, उतनी सुविधाएं तो पाकिस्तान में मुसलमानों को भी नहीं मिल रही है। और पढ़े- बॉक्स ऑफिस पर ‘रईस’ और ‘काबिल’ का मुकाबला जारी माहिरा को पाकिस्तान में फैन बुला रहे ‘बैटरी साला’ के नाम से शरीफ ने बताया कश्मीर को भारत और पाकिस्तान के बीच विवाद इस्लामाबाद में फिर से लगे 'पीओके' आजादी के नारे, कहा जुल्म ढाते है ISI