गोवा राज्य विधानसभा चुनाव के परिणाम आने के बाद यह बहस छिड़ गई है कि राज्य में दूसरे नंबर पर रहने के बावजूद बीजेपी की सरकार बनना सही या गलत है. इस सम्बन्ध में गोवा चुनाव से पहले राज्य में आम आदमी पार्टी ने बड़ी-बड़ी अटकलें लगायी गई थीं, पार्टी का दावा था कि वो गोवा और पंजाब में दिल्ली 2015 को दोहराएगी. साथ ही कई राजनीतिक जानकार भी मान रहे थे पार्टी गोवा में अपनी प्रमुख दावेदार होगी. किन्तु परिणाम आने के बाद आप नेताओं और समर्थकों के पैरों के नीचे की जमीन खिसक गयी. बता दे कि पार्टी को राज्य में एक भी सीट नहीं मिली. राज्य में पहली बार चुनावी दावेदारी कर रही आप पार्टी के लिए ये परिणाम ऊपर से जितने बुरे प्रतीत हो रहे हैं वास्तव में उससे कहीं ज्यादा कड़वे हैं. राज्य की कुल 40 सीटों में से आप पार्टी ने 39 पर अपने उम्मीदवार खड़े किए थे, इसके साथ ही पूर्व नौकरशाह एल्विस गोम्स को पार्टी ने अपना मुख्यमंत्री उम्मीदवार भी घोषित कर दिया था किन्तु इन सब मशक्कतों के बाद भी परिणाम पार्टी के लिए निराश करने वाला रहा. आप ने चुनाव में 39 उम्मीदवार उतारे थे, इन 39 में से 38 उम्मीदवारों की जमानत जब्त कर ली है. इसका अर्थ यह है की पार्टी के ये सभी उम्मीदवार कुल मतदान का 1/6 वोट पाने में विफल रहे. बता दे कि आप पार्टी ने गोवा चुनाव में सबसे पहले उम्मीदवारों की सूचि जारी कर दी थी, साथ ही पार्टी को उम्मीद थी कि वो सत्ताधारी बीजेपी के खिलाफ जन-असंतोष को अपने पक्ष में भुनाने में कामयाब रहेगी किन्तु ऐसा हो न हो सका. ये भी पढ़े मनोहर पर्रिकर बने गोवा के मुख्यमंत्री जेटली का कांग्रेस पर निशाना, कांग्रेस को कुछ ज्यादा ही शिकायते है केजरीवाल की मांग - मतपत्र से हो दिल्ली नगर निगम के चुनाव