हर वर्ष एक अप्रैल को अप्रैल फूल डे के नाम से मनाया जाता है. यानी मूर्खता का दिन होता हैं. लोग इस दिन दोस्तों और जानने-पहचानने वालों को मूर्ख बनाते हैं. लेकिन, क्या ऐसा हो सकता है कि एक मजाक, एक भरे-पूरे देश में तब्दील हो जाए? ऐसा ही हुआ आज से 21 वर्ष पहले, बाल्टिक देश लिथुआनिया में. वहां एक अप्रैल को कुछ लोगों ने तय किया कि वो अपने मुहल्ले को अलग देश घोषित कर दें. मजाक में तय की गई बात आज हकीकत बन गई है. इस बित्ते भर के देश का नाम है उजुपियाइस रिपब्लिक. लिथुआनिया की राजधानी विलिनियस के एक हिस्से में बसे इस देश का अपना संविधान, सरकार और झंडा भी है. उजुपियाइस के लोग कहते हैं कि आप यहां बने जलपरी के बुत की आंखों में आंखें डाल कर देख लें, तो आप कभी भी इस मुल्क को छोड़ कर नहीं जाना चाहेंगे. इस बुत को 2002 में रोमास विलसियास्कस ने बनाया था. कांसे की ये मूर्ति इस छोटे से देश में आने वाले हर शख्स का स्वागत करती है. यहाँ के स्थानीय लोग दावा करते हैं कि ये जलपरी ही दुनिया भर से लोगों को अपनी दिलकशी से लुभाकर उनके देश लाती हैं. लिथुआनिया की राजधानी के एक मुहल्ले भर में आबाद उजुपियाइस देश का कुल इलाका एक वर्ग किलोमीटर से भी कम है. लेकिन, आप इसके छोटे से आकार पर न जाएं. यहां एक राष्ट्रपति हैं. भरी-पूरी सरकार है. उजुपियाइस का अपना संविधान है और करेंसी भी है. यही नहीं, इस मुहल्ले के बराबर देश के पास अपनी नौसेना भी है, जिसके पास चार नावें हैं. इनका इस्तेमाल सरकारी समारोहों में होता है. कुछ दिनों पहले तक इस देश के पास दस सैनिकों वाली सेना भी हुआ करती थी, लेकिन चूंकि ये गणराज्य शांतिप्रिय है, तो इसने सेना को खत्म कर दिया है. देश का संविधान मोटे अक्षरों में लिख कर संविधान चौराहे पर टांगा गया है. इसे धातुओं की तख्ती पर उकेरा गया है. सितंबर में जब पोप यहां आए तो उन्होंने इलाके के लोगों को आशीर्वाद भी दिया था. इस देश के केंद्रीय चौराहे पर आर्कैन्जेल गैब्रिएल की मूर्ति लगी है. इसे 2002 में लगाया गया था. गैब्रिएल को विकास और पुनर्जन्म का प्रतीक माना जाता है. उजुपियाइस की आरामतलबी का नतीजा ये है कि यहां सरकारी अधिकारियों की नियुक्ति भी मजे में ही की जाती है. इस देश की संसद यहां के एक कैफे में बैठती है. एक दर्जन मंत्रियों का समूह इस देश की हुकूमत चलाता है. अगर आप को यहां की राजनीति में शामिल होना है, तो आप को सामुदायिक सेवा करनी पड़ती है. इस शख्स ने 218 टन वजनी ट्रेन के साथ ये काम करके होने वाली पत्नी को किया इम्प्रेस इस देश में 'कब्रों का तहखाना' है, जहां पाई जाती है 60 लाख मुर्दों की हड्डियां इस किताब को पढ़ने की नहीं है किसी में हिम्मत, रहस्यों से नहीं उठा है पर्दा