तलाक मामले में दिखी सुप्रीम कोर्ट की संवेदनशीलता

नई दिल्ली : सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में रिश्तों की सौदेबाजी में सुप्रीम कोर्ट की संवेदनशीलता का एक रोचक मामला सामने आया. साठ वर्षीय एक व्यक्ति की तलाक की अर्जी पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में अपनी संवेदनशीलता दिखाते हुए कहा कि बेटी की शादी के लिए साढ़े बाहर लाख रुपये और पत्नी के भरण पोषण के लिए सात लाख रुपये दे दो, तो तुम्हे तलाक दे दिया जाएगा और सारे मामले भी खत्म कर दिए जाएंगे.मामले की अगली सुनवाई 5 दिसंबर तय की गई.

उल्लेखनीय है कि सोमवार को अदालत उठने का समय बीतने के बाद भी मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की पीठ साठ साल केएक याचिकाकर्ता को रिश्तों के मायने और समाज की रवायतों से रूबरू कराने में लगी थी. दरअसल पीठ के सामने यह मामला करीब साठ वर्षीय समर बहादुर (नाम बदला हुआ) उसकी पत्नी रानी (नाम बदला) और 25 - 26 साल की विवाह योग्य ग्रेजुएट सयानी बेटी का आया था. ये मामला पश्चिमी उत्तर प्रदेश के एक गांव का है.

बता दें कि याचिकाकर्ता समर बहादुर की शादी 27 वर्ष पहले अप्रैल 1990 में रानी से हुई थी. लेकिन एक साल बाद ही दोनों अलग हो गए. अक्टूबर 1991 में उसकी बेटी ने नाना के घर जन्म लिया. परिवार अदालत ने समर बहादुर की तलाक की अर्जी मंजूर कर तलाक दे दिया था, लेकिन पत्नी की याचिका पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने तलाक की डिक्री निरस्त कर दी और निचली अदालत द्वारा तय गुजारा भत्ता भी बढ़ाकर 11 हजार कर दिया था .इसके खिलाफ समर बहादुर ने सुप्रीमकोर्ट में अपील की थी.जिसमें कोर्ट ने याचिकाकर्ता से खुद बातचीत कर इस मामले का समाधान करना चाहा. इस दौरान दोनों पक्ष के वकील और फरियादी मौजूद थे.

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