दुनियाभर पर मंडरा रहा है ये बड़ा संकट, बढ़ेगी आमजन की समस्याएं

नई दिल्‍ली: सर्दियों का सीजन आरम्भ होने से पहले वैश्विक ऊर्जा संकट तथा मांग में बढ़ोतरी ने एक संकट की घंटी बजा दी है। पहले से ही ऊर्जा संकट विश्व के समक्ष खड़ा है तथा यह आगे आने वाले समय में और गंभीर हो सकता है, क्‍योंकि सर्दियों में घरों में प्रकाश तथा गर्मी के लिए ज्यादा ऊर्जा की आवश्यकता होती है। विश्व की तमाम सरकारें ऊर्जा संकट के कारण उपभोक्‍ताओं पर पड़ने वाले असर को सीमित करने के भरसक प्रयास कर रही हैं, मगर उनका यह भी कहना है कि वे दामों में वृद्धि को रोकने में सक्षम नहीं हैं।

वही चीन में जनता के लिए बिजली कटौती पहले से ही आरम्भ हो चुकी है, जबकि भारत में बिजली संयंत्र कोयले के अभाव से जूझ रहे हैं। यूरोप में उपभोक्‍ताओं के अधिवक्ता पुराना बकाया न चुकाने पर कनेक्‍शन काटने पर पाबंदी लगाने की मांग कर रहे हैं। एशिया महाद्वीप में अकेला चीन ही ऊर्जा संकट का सामना नहीं कर रहा है। भारत में भी आगामी कुछ दिनों में बिजली की कमी उत्पन्न हो सकती है, क्‍योंकि ज्यादातर थर्मल पावर प्‍लांट्स में कोयले का भंडार गंभीर निचले स्‍तर पर पहुंच गया है।

बता दे कि एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्‍यवस्‍था भारत में 135 थर्मल पावर प्‍लांट्स हैं, जिनमें से 63 के समीप दो दिन या इससे कम का कोयला भंडार शेष है। 17 पावर प्‍लांट्स के समीप कोयले का भंडार बिल्‍कुल ख़त्म हो चुका है। 75 प्‍लांट्स के पास 5 दिन का कोयला भंडार है। भारत में कुल बिजली उत्‍पादन में थर्मल पावर प्‍लांट्स की भागेदारी तकरीबन 70 प्रतिशत है। यूरोप में, प्राकृतिक गैस के दाम 230 डॉलर प्रति बैरल पर है। सितंबर के आरम्भ से इसके दामों में 130 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है, जबकि बीते वर्ष की समान अवधि की तुलना में यह बढोत्तरी आठ गुना ज्यादा है। 

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