नई दिल्ली: सात साल पहले 16 दिसंबर की रात दरिंदगी का शिकार हुई निर्भया आज भी युवाओं के बीच जिंदा है. वहीं दून स्थित निर्भया का संस्थान उसके नाम से ‘निर्भया फंड’ बनाकर हर साल दस बेटियों को निशुल्क पढ़ाने की जिम्मेदारी बाखूबी निभा रहा है. जंहा 16 दिसंबर को निर्भया की आत्मा की शांति के लिए कॉलेज में प्रार्थना होगी. वहीं 16 दिसंबर 2012 की रात दिल्ली में जिस निर्भया के साथ दरिंदगी हुई थी, वह दून के एक संस्थान में पैरामेडिकल कोर्स पढ़ रही थी. अचानक हुई इस दरिंदगी से पूरा संस्थान प्रशासन भी गहरे सदमे में आ गया था. महीनों तक निर्भया के शिक्षकों से लेकर साथी छात्र-छात्राएं भी सदमे में रहे थे. निर्भया फंड से निशुल्क शिक्षा ग्रहण कर रही हैं बेटियां: यदि हम बात करें सूत्रों कि तो बहादुर बिटिया की मौत के बाद संस्थान ने निर्भया के नाम से निर्भया फंड बनाया. इसमें करीब 1.5 लाख रुपये जमा किए गए. इस फंड का मकसद है कि जो भी गरीब बेटियां पढ़कर आगे बढ़ना चाहती हैं, उनकी पढ़ाई का खर्च इससे निकाला जाता है. संस्थान के चेयरमैन हरीश अरोड़ा के मुताबिक, हर साल आठ से दस बेटियां निर्भया फंड से निशुल्क शिक्षा ग्रहण कर रही हैं. इसके अलावा, अगर किसी छात्रा को अचानक कोई बीमारी, चोट या कोई हादसा हो जाता है तो इस फंड से उसका इलाज भी कराया जाता है. टीचर बोले, दरिंदों को जल्द मिले फांसी: जानकारी मिली है कि निर्भया को पढ़ाने वाले टीचर आज भी उसका नाम जुबां पर आते ही दुखी हो जाते हैं. संस्थान के चेयरमैन हरीश अरोड़ा का कहना है कि दरिंदों को जितनी जल्दी हो, फांसी मिले. इससे एक ओर जहां देशभर में एक संदेश जाएगा तो दूसरी ओर निर्भया की आत्मा को शांति भी मिलेगी. कॉलेज के सभी शिक्षक उस दिन का इंतजार कर रहे हैं, जब निर्भया के दरिंदों को सूली पर लटकाया जाएगा. हिमाचल में शिक्षकों पदों पर निकली बंपर भर्तियां, पहले आएगा बीएड करने वालों का नंबर अवैध खनन को रोकने का इंतज़ाम सरकार के पास भी नहीं उत्तर प्रदेश में 700 इलेक्ट्रिक बसेस इस आधुनिक टेक्नोलॉजी से चलने की शुरुआत, जाने ख़ास