छात्रों को इंटरनेशनल टूर्नामेंटों में खिलाने के नाम पर सस्पेंडेड स्कूल गेम्स फेडरेशन ऑफ इंडिया ने दिल्ली समेत कई प्रदेश सरकारों को करोड़ों रुपये का चुना लगाया है. केंद्रीय खेल मंत्रालय ने अनियमितताओं की वजह से पूर्व ही एसजीएफआइ को अगले आदेश तक ससपेंड किया है. सूत्रों के मुताबिक, दिल्ली के अतिरिक्त छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान तथा गुजरात में भी इस प्रकार का खेल हुआ है. मिडिया रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली सरकार ने एसजीएफआइ को अलग-अलग इंटरनेशनल टूर्नामेंट में अपने प्रदेश के स्कूली बच्चों को खिलाने के लिए लगभग साढ़े छह करोड़ रुपये दिए. दिल्ली सरकार के अफसरों ने बीते तीन वर्ष में सात बार लेटर लिखकर इसका हिसाब मांगा, किन्तु एसजीएफआइ ने एक बार भी उसका उत्तर नहीं दिया. साथ ही दिल्ली सरकार ने एसजीएफआइ को अपने बच्चों को प्रतिस्पर्धाओ में हिस्सा लेने के लिए खर्च के रूप में प्रति बच्चे के हिसाब से भुगतान किया वही एसजीएफआइ ने इंटरनेशनल टूर्नामेंट में प्रति बच्चे को खिलाने के लिए प्रदेश सरकार से 2.5 लाख, एशियन प्रतिस्पर्धाओं में खिलाने के लिए दो लाख तथा भारत में होने वाली प्रतिस्पर्धाओं के लिए एक लाख रुपये लिए. साथ यह दिल्ली सरकार के अफसरों ने खर्चे का बिल देने, बच्चों के नहीं जाने पर पैसे वापस करने के लिए सात बार लेटर लिखे, किन्तु एसजीएफआइ के कानों पर जूं नहीं रेंगी. सबसे पूर्व 2018 में दिल्ली सरकार की डिप्टी डायरेक्टर ऑफ़ एजुकेशन आशा अग्रवाल ने एसजीएफआइ के सेक्रेटरी राजेश मिश्रा से प्रति विद्यार्थी पर खर्च हुए पैसों की सुचना मांगी थी. इसी के साथ खेलों में कई परिवर्तन किये जा सकते है. खेल अवार्ड लेने वाले तीन प्लेयर हुए कोरोना संक्रमित फॉर्मूला वन ने संशोधित कैलेंडर में चार और रेस को जोड़ा कोरोना महामारी के बीच साइकिल रेस 'टूर डि फ्रांस' पर बनी अनिश्चितता