इस देश में छाया अकाल, दूध से लेकर खाने तक के लिए तरसे लोग

श्रीलंका का खाद्य खतरा इतना गहरा गया है कि वहां जनता के लिए सोना खरीदने से अधिक कठिन दूध खरीदना हो गया है. 54 वर्ष की शामला लक्ष्मण दूध की खोज में राजधानी कोलंबो की सड़कों पर देर रात दुकान दर दुकान भटकती हैं जिससे उन्हें दूध का पैकेट प्राप्त हो जाए. वो तड़के सुबह भी निकलकर दूध की खोज करती हैं जिससे सात व्यक्तियों के अपने परिवार का पेट भर सकें मगर उन्हें काफी बार दूध मिल नहीं पाता.

उन्होंने बताया, 'आजकल किसी दुकान पर दूध प्राप्त होना असंभव हो गया है. तथा यदि आपको ये किसी दुकान में नजर भी आ जाए तो इतना महंगा होता है कि हम खरीद नहीं पाते. दूध के दाम पहले से तिगुने महंगे हो गए हैं इसलिए मैं अपने परिवार के लिए दूध खरीद नहीं पाती हूं.' वही चिकन श्रीलंका के खान-पान का महत्वपूर्ण भाग है किन्तु इसके बहदते दामों की वजह से ये आम लोगों की प्लेट से गायब हो गया है. चिकन के दाम दोगुनी हो गए हैं तथा अब लोगों के लिए ये एक लग्जरी आइटम बन चुका है. शामला बोलती हैं, 'हमारे आवश्यकता की तकरीबन सभी चीजें हमारी पहुंच से बाहर हो गई हैं. प्रतिदिन मुझे इसी बात का डर लगा रहता है कि कल को अपने परिवार को क्या खिलाऊंगी मैं.'

बता दे कि श्रीलंका अपने सबसे खराब वित्तीय खतरे का सामना कर रहा है. देश का विदेशी मुद्रा भंडार तकरीबन रिक्त हो चुका है तथा चीन समेत कई देशों के कर्ज तले दबा श्रीलंका दिवालिया होने के कगार पर है. जनवरी में श्रीलंका का विदशी मुद्रा भंडार 70% कम होकर 2.36 अरब डॉलर रह गया. विदेशी मुद्रा की कमी की वजह से श्रीलंका भोजन, दवा तथा ईंधन समेत सभी आवश्यक सामानों को विदेशों से आयात नहीं कर पा रहा है.

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