23 मार्च यानी आज वह दिन है जब भारत के वीर सपूत भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को ब्रिटिश हुकूमत ने फांसी दी थी। आप सभी को बता दें कि इन तीनों सेनानियों को फांसी 24 मार्च को दी जाने वाली थी, हालाँकि जनआक्रोश के डर से ब्रिटिश शासन ने 23 मार्च को ही इन तीनों वीरों को फांसी लगा दी। आप सभी को बता दें कि भगत सिंह मात्र 23 साल की आयु में वीरगति की प्राप्ति हुई थी और उनका बलिदान कोई नहीं भुला सकता। 'मेरी मां (भारत मां) बीमार है और उन्हें आजाद कराकर ही लौटूंगा, यह कथन भगत सिंह का है।' यह शब्द अलीगढ़ में भगत सिंह के आखिरी शब्द थे। आप सभी को बता दें कि भगत सिंह द्वारा जनरल सांडर्स की हत्या 17 अगस्त 1928 को की गई। वहीं इसके बाद 8 अप्रैल 1929 को उन्होंने उस वक्त के सेंट्रल असेंबली (वर्तमान संसद) में बम फेंका। हालांकि उन्होंने बम ऐसी जगह फेंका जहां लोग घायल न हो सके। उनका मानना था कि बहरे लोगों तक अपनी आवाज को पहुंचाने के लिए धमाका करना पड़ता है। आपको बता दें कि भगत सिंह लाला लाजपत राय को बहुत मानते थे, वे लाजपत राय को अपने गुरू समान समझते थे। हालाँकि लाला लाजपत राय की एक प्रदर्शन के दौरान लाठी लगने से मौत हो गई थी और लाठी चार्ज का आदेश ब्रिटिश पुलिस अधीक्षक जेम्स स्कॉट ने दिया था। ऐसे में भगत सिंह तभी से लाला लाजपत राय की मौत का बदला लेना चाहते थे और इसके लिए उन्होंने पूरी योजना बनाई लेकिन ब्रिटिश पुलिस अधिकारी जान सॉन्डर्स को गलती से जेम्स स्कॉट समझ बैठे और हत्या कर दी। इसी कारण उन्हें 23 मार्च 1931 को फांसी दे दी गई। ज्योतिषी ने पहले ही कर दी थी भगतसिंह की मौत की भविष्यवाणी, फांसी से पहले माँ से मिलकर ये बोले थे शहीद भगत सिंह को बचा सकते थे बापू, लेकिन आखिर क्यों नहीं बचाया? फांसी से ठीक पहले भगत सिंह ने लिखा था ये खत, फंदे को चूमकर न्योछावर किये प्राण