आप सभी जानते ही हैं कि मकर संक्रांति से माता शाकंभरी नवरात्र का पर्व आरंभ हो चुका है और 21 जनवरी को इसका समापन है. ऐसे में पौष कृष्ण पक्ष की अष्टमी से पौष पूर्णिमा तक मां शाकंभरी नवरात्रि पर्व मनाया गया. कहते हैं पौष पूर्णिमा पर माता शाकंभरी की जयंती होती है. इसी के साथ इस दिन पुष्य नक्षत्र, कुंभ स्नान और खग्रास चंद्रग्रहण है. कहते हैं इस दिन का विशेष महत्व इस बार बढ़ गया है. वहीं आप सभी को बता दें कि शाकंभरी को वनस्पति की देवी माना जाता है और माता की सब्जियों से पूजा की जाती है. इसी के साथ इन्हें मां अन्नपूर्णा माना जाता है और पांडवों ने परिजन हत्या दोष मुक्ति के लिए मां की पूजा आराधना की थी. कहते हैं शाकंभरी मां के तीन शक्तिपीठ हैं, जो पहला सीकर, राजस्थान में है. वहीं यह सकराय माताजी विख्यात है. इसके बाद दूसरा राजस्थान के सांभर जिले के शाकंभर में स्थित है और तीसरा सहारनपुर उत्तरप्रदेश में है. आप सभी को बता दें कि पुराणों के अनुसार दानवों के अत्याचार से भीषण अकाल से पीड़ित धरा को बचाने माता ने अवतार लिया था और वह हजारों नेत्रों से इन नौ दिनों तक रोती रहीं थी. इसके बाद हरियाली पुनः स्थापित हुई और इस कारण से इन्हें हरियाली की देवी भी कहते हैं. जादू-टोने से बचने के लिए इस समय करें हनुमान चालीसा का पाठ रूई की चार बत्ती आपके घर से भगा सकती है नकारात्मकता, करना होगा यह काम घर में माँ लक्ष्मी को बसाना चाहते हैं तो लेकर आए उनकी यह तस्वीर