शाम से आँख में नमी सी है -गुलज़ार

शाम से आँख में नमी सी है...

शाम से आँख में नमी सी है  आज फिर आप की कमी सी है   

दफ़्न कर दो हमें कि साँस मिले  नब्ज़ कुछ देर से थमी सी है   

वक़्त रहता नहीं कहीं थमकर  इस की आदत भी आदमी सी है   

कोई रिश्ता नहीं रहा फिर भी  एक तस्लीम लाज़मी सी है.

- गुलज़ार

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