नई दिल्ली: संदेशखाली हिंसा को लेकर दायर याचिकाओं पर सुनवाई जारी रखते हुए कलकत्ता उच्च न्यायालय ने गुरुवार को बंगाल सरकार को कड़ी फटकार लगाई। मामले को "बेहद शर्मनाक" बताते हुए अदालत ने सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार की खिंचाई करते हुए कहा कि अगर "किसी नागरिक की सुरक्षा खतरे में है" तो यह राज्य सरकार की "100% ज़िम्मेदारी" है। हाई कोर्ट ने कहा कि, "संदेशखाली में जो हुआ वह बेहद शर्मनाक है। संदेशखाली में जो हुआ उसके लिए पूरा जिला प्रशासन और सत्तारूढ़ दल नैतिक जिम्मेदारी लेता है। यदि किसी नागरिक की सुरक्षा खतरे में है तो 100% जिम्मेदारी सत्तारूढ़ दल की है; सरकार जिम्मेदार है।" सुनवाई के दौरान कथित यौन हिंसा और जमीन हड़पने के मामले में स्वत: संज्ञान मामले में याचिकाकर्ता वकील प्रियंका टिबरेवाल ने कहा कि उन्हें संदेशखाली से कई शिकायतें मिली हैं। वकील प्रियंका टिबरेवाल ने कोर्ट को बताया कि, "इतने सारे लोग आए। उन्होंने कहा कि कुछ नहीं हुआ। मैं हलफनामा रिकॉर्ड पर रख रही हूं। मैं उनके नाम का उल्लेख नहीं कर रही हूं, अन्यथा वे खतरे में पड़ जाएंगे। एक महिला थी जो अपने पिता से मिलने गई थी, जिसकी जमीन हड़प ली गई। उसे दिन के उजाले में उठा लिया गया और शेख शाहजहाँ और अन्य लोगों द्वारा उसका बलात्कार किया गया। यह सिर्फ जमीन कब्जाने का मामला नहीं है, बल्कि सरकारी जमीन अधिकारियों समेत कई गहरे मुद्दे हैं। भूमि रिकॉर्ड बदल दिए गए और पीड़ितों को सिविल मुकदमा दायर करने के लिए कहा गया। ये लोग सिविल सूट कैसे दायर करेंगे? यदि वे विरोध करती हैं तो उन्हें प्रताड़ित किया जाता है और बलात्कार किया जाता है। यहां तक कि पुलिस भी इसमें शामिल है।'' बता दें कि, 5 जनवरी को संदेशखली में प्रवर्तन निदेशालय की टीम पर हमले के सिलसिले में 29 फरवरी को बंगाल पुलिस ने कोर्ट के आदेश के बाद पूर्व TMC नेता शेख शाहजहां को गिरफ्तार किया था। शाहजहां पर और उनके सहयोगियों पर कई महिलाओं ने जमीन हड़पने और जबरदस्ती यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया है। इस विवाद ने भाजपा और सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के बीच राजनीतिक विवाद पैदा कर दिया है। गुरुवार की सुनवाई के दौरान, कलकत्ता उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश टीएस शिवगणनम ने कहा कि अगर वकील टिबरेवाल ने जो कहा है उसका 1% भी सच है, तो यह शर्मनाक होगा, क्योंकि बंगाल सांख्यिकी रिपोर्ट में खुद को महिलाओं के लिए सबसे सुरक्षित राज्य बताने का दावा करता है। इसके अलावा, मामले में अदालत की सहायता कर रहे वकील ने कहा कि एक रिपोर्ट दायर की गई है जिसमें जमीन हड़पने सहित सभी मुद्दों पर गौर किया गया है। कोर्ट के सहायक वकील ने कहा कि, "कुछ जमीनें वापस की जा रही हैं। उन्होंने स्वीकार किया कि जमीनें हड़प ली गईं, लेकिन जिस तरह से जमीनें वापस की जा रही हैं वह उचित नहीं है। कुछ लोगों ने जमीनें हड़प लीं, लेकिन अब राज्य जमीन वापस कर रहा है। यह कैसे हो रहा है? हमने यह भी पाया कि कई महिलाओं पर अत्याचार किया जा रहा है और जिस तरह से पुलिस में शिकायतें दर्ज की जा रही हैं वह भी उचित नहीं है।'' कांग्रेस और RJD का खेल बिगाड़ेंगे पप्पू यादव, पूर्णिया से निर्दलीय ताल ठोंकने का किया ऐलान भारत में भयानक हीटवेव का कहर, कई राज्यों में मौसम विभाग का अलर्ट जारी 'पिछले 10 साल में जो हुआ, वो बस एक ट्रेलर था, अगले कार्यकाल में..', बिहार की धरती से पीएम मोदी ने भरी हुंकार