आज 30 मई को शनि जयंती और सोमवती अमावस्या के महासंयोग के साथ दो खास योग भी बन रहे हैं। जी हाँ, इस दिन पवित्र नदियों में स्नान कर दान पुण्य करने से पुण्य फल प्राप्त होता हैं। आप सभी को बता दें कि ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या बड़ी अमावस्या के रूप में जानी जाती है। जी हाँ और 12 माह में आने वाली ज्येष्ठ अमावस्या इसलिए कहलाता है क्योंकि 12 माह में यह बड़ा माह है। आपको पता ही होगा इस बार ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या 30 मई सोमवार के दिन कृतिका उपरांत रोहिणी नक्षत्र सुकर्मा योग नाग करण वृषभ राशि के चंद्रमा की साक्षी में आ रही है। वहीँ आज शनि जयंती मनाई जा रही है और इस दिन शुभ फल पाने के लिए शनि की विशेष पूजा करनी चाहिए। आज ज्येष्ठ अमावस्या पर शनिदेव की विशेष पूजा-आराधना और मंत्रों का जाप करके भगवान शनिदेव को प्रसन्न किया जाता है। अब हम आपको बताने जा रहे हैं ज्येष्ठ मास की अमावस्या पर यानी शनि जयंती पर शनिदेव को कौन सी पांच चीजें खासतौर पर चढ़ानी चाहिए। शमी के पत्ते- कहा जाता है शनि जयंती के दिन शनिदेव को शमी के पत्ते अर्पित करने चाहिए। शनि जयंती के दिन शमी वृक्ष की पूजा करनी चाहिए और इसके नीचे सरसों तेल का दीपक जलाया जाना चाहिए। अपराजिता के फूल- शनि जयंती के दिन शनिदेव को अपराजिता के फूल अर्पित करने चाहिए। शनिदेव को नीला रंग विशेष प्रिय है। अगर आपको शनि पीड़ा से मुक्ति पानी है तो उन्हें अपराजिता का पुष्प जरूर अर्पित करें। सरसों का तेल- शनि जयंती पर शनि भगवान का सरसों के तेल से अभिषेक करना चाहिए। जो लोग शनिदेव को तेल चढ़ाते हैं, उनकी कुंडली के सभी शनि दोष शांत होते हैं और जीवन में सुख-शांति बनी रहती है। काले तिल- शनि जयंती पर काले तिल और काले तिल से बने व्यंजन शनिदेव को जरूर चढ़ाना चाहिए। जी दरअसल काले तिल का कारक शनि ग्रह ही है। इस कारण शनि के लिए काले तिल का दान भी करना चाहिए। नारियल- शनि जयंती पर शनि देव को नारियल चढ़ाएं। इससे शनि दोष से शांति प्राप्त होती है। रखा है वट सावित्री व्रत तो जरूर पढ़े यह आरती पीरियड आ जाए तो भी रख सकते हैं वट सावित्री व्रत, जानिए कैसे? महिलाएं शनि देव की पूजा कर सकती हैं या नहीं? जानिए सबसे सटीक जवाब