कहते हैं कि शिव को समर्पित त्रयोदशी सर्व दोषों का नाश करती है अतः इसे प्रदोष कहते हैं वहीं शास्त्रानुसार इस दिन समस्त दिव्य शक्तियां शिवलिंग में समा जाती हैं और इस दिन प्रदोषकाल में सिर्फ शिवलिंग के दर्शन से सभी जन्मों के पाप मिट जाते हैं. ऐसे में उन्हें बेलपत्र चढ़ाकर दीप जलाने से अनेक पुण्य मिलते हैं. कहते हैं कि शनि प्रदोष की कथानुसार कालांतर में एक धनी धार्मिक व दानी नगर सेठ दंपत्ति संतानहीनता से दुखी होकर तीर्थयात्रा पर निकल पड़ा और रास्ते में उन्हें बड़े पीपल के पेड़ तले समाधिलीन सिद्ध साधु दिखाई पड़ा. नगर सेठ दंपत्ति ने सिद्ध साधु को अपना दुख सुनाया और उसके बाद सिद्ध साधु ने नगर सेठ दंपत्ति को संतान प्राप्ति के लिए शनि प्रदोष व्रत करने का आदेश दिया. आदेश पाकर सेठ ने उसका अनुसरण किया और जिससे उन दंपत्ति को पुत्र प्राप्ति हुई. इसलिए ऐसा कहा जाता है कि शनि-प्रदोष पुत्र प्राप्ति के लिए सर्वोत्तम दिन है और शनि प्रदोष के व्रत, पूजन व उपाय से निसंतान को संतान सुख मिलता है. तो आइए जानते हैं शुभ पूजन विधि: सबसे पहले शिवालय जाकर काले शिवलिंग का विधिवत पूजन करें और उन्हें तिल के तेल का दीपक लगाए. इसके बाद लोहबान से धूप करें, चंदन से त्रिपुंड बनाएं, नीले फूल चढ़ाएं व उड़द की खिचड़ी का भोग लगाएं व श्रीफल व दक्षिणा चढ़ाएं. यह सब करने के बाद रुद्राक्ष की माला से 108 बार यह विशेष मंत्र 'क्लीं कामफलप्रदाय नमः शिवाय क्लीं' जपें और पूजन के बाद भोग प्रसाद स्वरूप सभी को बाँट दें. शुभ मुहूर्त: शाम 06:14 से शाम 07:14 तक. सोमवार को ऐसे करें भोले के मन्त्रों का जाप, मिलेगा मनचाहा वरदान सबसे ज्यादा लव मैरिज करते हैं ये तीन राशि के लोग पत्नी को महारानी बनाकर रखते हैं ये 3 नाम के लोग