आप सभी को बता दें कि भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए किए जाने वाले समस्त व्रतों में प्रदोष व्रत जल्दी शुभ फल प्रदान करने वाला कहते हैं. इसी के साथ इस दिन भगवान शिव एवं माता पार्वती की पूजा करते हैं. शास्त्रों के अनुसार प्रदोष व्रत करने से व्यक्ति के जीवन के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं और इस व्रत को करने से भगवान शिव की कृपा सदैव आप पर बनी रहती है. ऐसे में आप सभी को बता दें कि आज शनि प्रदोष व्रत है. तो आइए जानते हैं शनि प्रदोष व्रत कथा, जिसे पढ़ने से सभी शनि से जुड़े हुए संकट दूर हो जाते हैं. शनि प्रदोष व्रत कथा - प्राचीन समय की बात है. एक नगर सेठ धन-दौलत और वैभव से सम्पन्न था. वह अत्यन्त दयालु था. उसके यहां से कभी कोई भी खाली हाथ नहीं लौटता था. वह सभी को जी भरकर दान-दक्षिणा देता था. लेकिन दूसरों को सुखी देखने वाले सेठ और उसकी पत्‍नी स्वयं काफी दुखी थे. दुःख का कारण था उनकी संतान का न होना. एक दिन उन्होंने तीर्थयात्र पर जाने का निश्‍चय किया और अपने काम-काज सेवकों को सोंप चल पड़े. अभी वे नगर के बाहर ही निकले थे कि उन्हें एक विशाल वृक्ष के नीचे समाधि लगाए एक तेजस्वी साधु दिखाई पड़े. दोनों ने सोचा कि साधु महाराज से आशीर्वाद लेकर आगे की यात्रा शुरू की जाए. पति-पत्‍नी दोनों समाधिलीन साधु के सामने हाथ जोड़कर बैठ गए और उनकी समाधि टूटने की प्रतीक्षा करने लगे. सुबह से शाम और फिर रात हो गई, लेकिन साधु की समाधि नही टूटी. मगर सेठ पति-पत्‍नी धैर्यपूर्वक हाथ जोड़े बैठे रहे.अंततः अगले दिन प्रातः काल साधु समाधि से उठे. सेठ पति-पत्‍नी को देख वह मन्द-मन्द मुस्कराए और आशीर्वाद स्वरूप हाथ उठाकर बोले मैं तुम्हारे अन्तर्मन की कथा भांप गया हूं वत्स! मैं तुम्हारे धैर्य और भक्तिभाव से अत्यन्त प्रसन्न हूं. साधु ने सन्तान प्राप्ति के लिए उन्हें शनि प्रदोष व्रत करने की विधि समझाई. तीर्थयात्रा के बाद दोनों वापस घर लौटे और नियमपूर्वक शनि प्रदोष व्रत करने लगे.कालान्तर में सेठ की पत्‍नी ने एक सुन्दर पुत्र जो जन्म दिया.शनि प्रदोष व्रत के प्रभाव से उनके यहां छाया अन्धकार लुप्त हो गया.दोनों आनन्दपूर्वक रहने लगे. ऐसे और यहाँ से मिला था भगवान कृष्णा को सुदर्शन चक्र रात में इस रंग के कपड़े में बांधकर सो जाए इलायची और सुबह करें यह काम, हो जाएंगे अमीर आज है भीष्म पितामाह जयंती, जानिए उनके जीवन की गाथाएं