दुनियाभर में कई लोग ऐसे हैं जो शनिवार के दिन व्रत रखते हैं. ऐसे में शनिवार के दिन व्रत रखने से बहुत लाभ होता है और इस दिन जो व्रत रखता है उसपर शनिदेव की मेहरबानी होती है. तो आइए आज जानते हैं शनिदेव की व्रत कथा. शनिदेव की व्रत कथा- महाराज दशरथ के शासन काल में एक बार ज्योतिषियों ने बताया की जब शनी गृह कृतिका को रोहिणी पर आयेगें तो धरती पर दस वर्षो का भीषण अकाल पड़ेगा. लोग अन्न , जल का अभाव हो जायेगा और सर्वत्र हा हा हाकार हो जायेगा. राजा को चिंता हुई. उसने महर्षि वसिष्ठ से इसके निवारण का उपाय पूछा , किन्तु शनि के प्रभाव को दुर करने का उपाय उन्हें भी नही ज्ञात था. तब निरुपाय होकर नक्षत्र लोक पर आक्रमण कर दिया. जब शनिचर भगवान कृतिका अनन्तर रोहिणी पर आने को तैयार हुए तो राजा ने उनका मार्ग अवरुद्ध कर दिया.शनिचर का ऐसे पराक्रमी राजा को देखने को अवसर नहीं मिला था वह कहने लगे. हे राजन ! तुम्हारे इस पराक्रम को देखकर में अति प्रसन्न हूँ. आज तक कोई भी देवता , असुर अथवा मनुष्य मेरे सामने आये , सभी जल गये , किन्तु तुम अपने अदम्भ तेज एवं तप के कारण बच गये हो. तुम जों भी वरदान मांगोगे में तुमको अवश्य दूंगा. राजा ने कहा महाराज आप रोहिणी पर न जाये यही मेरी प्रार्थना हैं.शनि भगवान ने राजा की प्रार्थना स्वीकार कर ली , और उन्हें धरती का दुःख दरिद्रता दुर करने वाले शनि भगवान के व्रत की विधि बतलाई , और उनसे यह भी कहा जों आपने मेरे कारण अथवा मेरे मित्र राहू एवं केतु के कारण दुःख भोग रहे हो उनके लिए शनिवार का व्रत परम् रक्षक होगा. इसे करके संसार की सब विपतिया तथा कष्टों से मुक्त हो सकते हैं. महाराज दशरथ नक्षत्र लोक से अयोध्या को वापस आये और उन्होंने अपने राज्य भर में शनिवार के व्रत की महिमा का खूब प्रचार किया , तभी से भारत भूमि को इस व्रत का बड़ा भारी प्रचलन हैं. इस कथा को कहने व सुनने वाले दोनों के सभी मनोरथ पूर्ण होते हैं तथा संसार में नाना प्रकार के सुख़ भोग कर अंत में शिव लोक की प्राप्ति होती हैं. भाई कार्तिकेय ने बनाया था भगवान गणेश को एकदन्त चीरहरण के साथ ही एक बार और श्रीकृष्ण ने बचाई थी द्रौपदी की लाज, जानिए पौराणिक कथा मरते समय रावण ने लक्ष्मण को बताई थी ये बातें, रखेंगे ध्यान तो नहीं होगा कोई नुकसान