अहमदाबाद: गुजरात की राजनीति के कद्दावर नेता शंकर सिंह वाघेला ने एक बार फिर पलटी मारते हुए आगामी आम चुनावों में भाजपा को हराने की कोशिशें शुरू कर दी है. जुलाई 2017 में ही वाघेला कांग्रेस का दमा छोड़ भाजपा के पास आए थे, पिछले महीने ही उनके पुत्र महेंद्र सिंह ने भी भाजपा से नाता लतोड़ लिया था. राज्यसभा चुनाव के दौरान अपने समधी बलवंत सिंह राजपूत व एक दर्जन अन्य विधायकों के साथ कांग्रेस छोड़ भाजपा के समर्थन में आने वाले वाघेला ने एक बार फिर भाजपा के खिलाफ हो गए हैं. मध्यप्रदेश चुनाव 2018: सागर में आज दो दिग्गज नेता भरेंगे हुंकार इसकी जानकारी उन्होंने खुद पत्रकारों को दी है, अपने निजी आवास 'वसंत वगडो' पर नव वर्ष स्नेह मिलन में संवाददातों से बात करते हुए कहा कि वर्ष 2019 में वे भाजपा को हराने में मुख्य भूमिका निभाने जा रहे हैं. वाघेला का प्रयास है कि इस चुनाव में भाजपा के खिलाफ विरोधी दलों की ओर से एक ही प्रत्याशी को चुनाव लड़ाया जाए. हालांकि, वाघेला खुद चुनावी मैदान में उतरेंगे या नहीं इसको लेकर कुछ उन्होंने कुछ नहीं कहा है, लेकिन उन्होंने ये ऐलान कर दिया है कि वे भाजपा के खिलाफ हैं. मिजोरम चुनाव: राजनाथ सिंह ने साधा राज्य सरकार पर निशाना, कहा कांग्रेस ने अब तक राज्य के लिए कुछ नहीं किया गुजरात में बापू के नाम से मशहूर पूर्व मुख्यमंत्री शंकर सिंह वाघेला ने अपनी राजनीतिक शिक्षा-दीक्षा राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ में पीएम नरेंद्र मोदी, पूर्व सीएम केशुभाई पटेल व पूर्व मंत्री दिवंगत काशीराम राणा के साथ-साथ ही ली थी. वाघेला को मध्य प्रदेश की राज्यपाल व गुजरात की पूर्व सीएम आनंदीबेन पटेल का गुरु के तौर पर भी जाना जाता है. आपको बता दें कि वाघेला उपरोक्त सभी नेताओं से वरिष्ठ थे, लेकिन गुजरात की खुद सीएम बनने के लिए उन्हें भाजपा छोड़कर कांग्रेस का हाथ थमा था, जब वे 1996 में मुख्यमंत्री बन पाए थे. खबरें और भी:- असम पंचायत चुनाव: भाजपा से अलग चुनाव लड़ेगी असम गण परिषद, आखिर क्या है वजह ? मध्यप्रदेश चुनाव 2018: सागर में आज दो दिग्गज नेता भरेंगे हुंकार मध्यप्रदेश चुनाव: राज्य के दो दर्जन से ज्यादा गांव में प्रचार के लिए नहीं जा पा रहे राजनेता, ये है वजह