मुंबई: शिवसेना का चुनाव चिन्ह तीर-कमान एवं पार्टी का नाम उद्धव गुट से छिन चुका है। शिंदे गुट इस पर कब्जा जमाने में सफल हो गया है। एक ओर शिंदे गुट इसे लोकतंत्र की जीत बता रहा है तो वहीं उद्धव गुट ने इसे पहले से सुनियोजित निर्णय करार दिया है। इस मुद्दे पर NCP चीफ शरद पवार ने कुछ भी बोलने से मना कर दिया है। रविवार को NCP प्रमुख ने कहा कि वे शिंदे गुट को तीर-कमान का चुनाव चिन्ह प्राप्त होने के मुद्दे पर प्रदेश में चल रहे विवाद में नहीं पड़ेंगे। शरद पवार ने बोला, 'मैंने इस पर अपनी भूमिका स्पष्ट कर दी है।' केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की यात्रा के बारे में चर्चा करते हुए पवार ने कहा, 'वह सहकार परिषद के समारोह के लिए पुणे आए थे। मैंने सहकार परिषद का उद्घाटन किया। इसलिए हमारे बीच कोई झगड़ा नहीं है। नीतिगत मुद्दों पर हमारी विस्तार से चर्चा हुई है। उनके भाषण के बिंदु आज उपयुक्त लग रहे थे।' इससे पहले शरद पवार ने बोला था कि धनुष एवं तीर के चुनाव चिन्ह खोने से उद्धव ठाकरे नीत शिवसेना पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा, क्योंकि लोग उसके नए चुनाव चिन्ह को स्वीकार करेंगे। शरद पवार ने एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले गुट को वास्तविक शिवसेना के तौर पर मान्यता देने और उसे मूल 'धनुष और तीर' चिन्ह देने के चुनाव आयोग के निर्णय पर प्रतिक्रिया देते हुए कांग्रेस का एक उदाहरण दिया था। शरद पवार ने यह भी याद दिलाया था कि इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली कांग्रेस को 1978 में एक नया चुनाव चिन्ह चुनना था, मगर इसका पार्टी को कोई नुकसान नहीं पहुंचा था। NCP प्रमुख ने ठाकरे गुट को सलाह दी थी, 'एक बार फैसला हो जाने के पश्चात् कोई चर्चा नहीं हो सकती है। इसे स्वीकार करें, एक नया चुनाव चिह्न लें। इसका (पुराने चुनाव चिह्न के नुकसान) कोई असर नहीं पड़ने वाला है।' उन्होंने याद दिलाया था कि आपातकाल के बाद इंदिरा गांधी को भी ऐसी ही स्थिति का सामना करना पड़ा था। अपने 78 पेज के फैसले में निर्वाचन आयोग ने बोला था कि विधान मंडल के सदन से लेकर संगठन तक में बहुमत शिंदे गुट के ही पास है। आयोग के सामने दोनों पक्षों ने अपने-अपने दावे एवं उनकी पुष्टि के लिए दस्तावेज प्रस्तुत किए। एकनाथ शिंदे गुट के समीप एकीकृत शिवसेना के टिकट पर जीत कर आए कुल 55 विजयी विधायकों में से 40 आमदार यानी MLA हैं। पार्टी में कुल 47,82,440 मतों में से 76 प्रतिशत मतलब 36,57,327 वोटों के दस्तावेज शिंदे गुट ने अपने पक्ष में पेश कर दिए। उद्धव ठाकरे गुट शिवसेना पर पारिवारिक विरासत के साथ ही राजनीतिक विरासत का दावा करते हुए 15 विधायकों एवं कुल 47,82,440 वोट में से केवल 11,25,113 वोटों का ही दस्तावेजी सबूत पेश कर पाया। यानी कुल 23.5 प्रतिशत वोट ही ठाकरे गुट के पास थे। शिवसेना के कुल 55 आमदार यानी विधायकों में केवल 15 का समर्थन ठाकरे गुट के पास था। 'शिवसेना नाम के लिए हुई 2 हजार करोड़ की डील', इस नेता ने लगाया बड़ा आरोप 'आज मेरी गिरफ्तारी हो सकती थी', मनीष सिसोदिया का आया बड़ा बयान 'कोरोना के बाद बढ़े कैंसर के केस', स्वामी रामदेव का बड़ा बयान