केंद्र सरकार पर भड़के शरद पवार, कहा- 'मेरे कार्यकाल में...'

महाराष्ट्र: राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के अध्यक्ष शरद पवार ने हाल ही में सिलसिलेवार ट्वीट किये हैं। इन ट्वीट्स के माध्यम से उन्होंने नए कृषि कानूनों को लेकर केंद्र सरकार को निशाने पर लिया है।

 

जी दरअसल अपने पहले ट्वीट में शरद पवार ने कहा है, “किसान भाइओं को उनके फसल की उचित कीमत मिले, इसलिए मेरे कार्यकाल में रिकॉर्ड पैमाने पर खाद्यान्न की एमएसपी बढ़ाई। वर्ष 2003-04 में धान की एमएसपी मात्र रु। 550 प्रति क्विंटल और गेहूं की एमएसपी मात्र रु। 630 प्रति क्विंटल थी। यूपीए सरकार ने उसमे हर साल 35-40 प्रतिशत बढ़ाने की कोशिश की। साल 2013-14 में धान की कीमत रु। 1310 और गेहूं की रु। 1400 प्रति क्विंटल तक बढ़ाई। उस कार्यकाल में जो रिकॉर्ड खाद्यान्न का उत्पादन हुआ, उसका एमएसपी एक महत्त्वपूर्ण कारण है। पंजाब, यूपी और हरियाणा के किसानों के जीवन में खुशियां बहाल करने का बड़ा काम यूपीए सरकार की कार्यकाल में हुआ।”

वहीँ अपने अगले ट्वीट में शरद पवार ने कहा, “मैंने देश के कृषि मंत्री पद की जिम्मेदारी संभाली तब गेहूं का आयात करने वाला देश 2014 तक एक कृषि निर्यातदार देश बना और देश को लगभग रु। 1।80 हजार करोड़ की विदेशी मुद्रा प्राप्त हुई। एनडीए सरकार ने जो तीन नए कानून लाए उसमें किसानों को फसल बेचने के लिए अपने चुनाव से बाजार का चयन हो, इस दिशा में वर्ष 2003 में पूर्व प्रधानमंत्री वाजपेयी की नेतृत्व वाली सरकार ने माडेल स्टेट ॲग्रिकल्चरल प्रोड्यूस मार्केटिंग (डेवलपमेंट-रेग्यूलेशन) कानून को मान्यता दे दी। फिर भी समुचे देश में हर राज्य में बाजार मंडी के कानूनों में समानता नहीं थी। इसको मद्देनजर रखते हुए मेरे कार्यकाल में राज्यों को 25 मई, 2004 और 12 जून, 2007 पत्र लिखकर उनके बदलाव की दिशा में आवश्यक पहल करने का अनुरोध किया था। इतना ही नहीं किसी भी प्रकार की जल्दबाजी न दिखाते हुए वर्ष 2010 में राज्यों के कृषि मंत्रियों की समिती गठित की गई थी।”

इस तरह उन्होंने और भी कई ट्वीट्स किये हैं। एक ट्वीट में वह लिखते हैं, “केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर अब यह कह रहे हैं कि, नये कानून स्थित प्रावधान वर्तमान एमएसपी व्यवस्था को किंचित भी प्रभावित नहीं करते हैं। वह यह भी कह रहे हैं कि, नए कानून किसानों को अपनी उपज बेचने के लिए एक सुविधाजनक व अतिरिक्त चैनल प्रदान करते हैं। नये कानून में किसान मंडी के बाहर अपना माल बेच सकता हैं लेकिन प्राइवेट खरीदारों को बेचते समय एमएसपी को किसी भी प्रकार का संरक्षण नहीं है। यही आंदोलनकारी किसानों का शुरू से कहना था। कार्पोरेट क्षेत्र के साथ दीर्घ काल तक किसानों को सही कीमत मिलने की बात को आश्वस्त नहीं किया है।” ऐसे ही उन्होंने अन्य ट्वीट कर नए कृषि कानूनों के बारे में बात की है।

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