शशि थरूर ने रामलला की तस्वीर पोस्ट कर लिखा सियावर राम चंद्र की जय ! कांग्रेस हाईकमान ने ठुकराया था निमंत्रण

तिरुवनंतपुरम: कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) के सदस्य और सांसद शशि थरूर ने मंगलवार को कहा कि 'राम भक्त' होने का मतलब जरूरी नहीं है कि वह भाजपा के साथ जुड़ें, उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भगवान राम को विशेष रूप से भगवा पार्टी के साथ नहीं जोड़ा जाना चाहिए। तिरुवनंतपुरम का प्रतिनिधित्व करने वाले थरूर ने व्यक्त किया कि वह, अन्य लोगों के साथ, भगवान राम के प्रति भक्ति रखते हैं, और भविष्य में अयोध्या मंदिर की कोई भी यात्रा किसी को नुकसान पहुंचाने के इरादे के बिना आस्था की अभिव्यक्ति होगी।

 

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म उनकी पसंद का धर्म। प्रदर्शनकारियों ने उन्हें "बेशर्म" करार दिया और बैनर प्रदर्शित कर उन्हें "लोकतांत्रिक धर्मनिरपेक्ष राज्य का अपमान" कहा। थरूर ने हिंदी में एक संदेश के साथ अयोध्या में भगवान राम की मूर्ति की तस्वीर पोस्ट की थी - 'सियावर राम की जय'। उन्होंने बताया कि संदेश का उद्देश्य राम के प्रति उनकी भक्ति और राम का जयकार करते समय सीता का नाम छोड़ देना था। थरूर ने इस बात पर जोर दिया कि इस मुद्दे को तूल देने की जरूरत नहीं है।

इस धारणा को खारिज करते हुए कि हर राम भक्त भाजपा का समर्थन करता है, थरूर ने सवाल किया कि कांग्रेस को भगवान राम को भाजपा के सामने क्यों सौंप देना चाहिए। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि कांग्रेस भी धर्म को अपनाते हुए ईश्वर से प्रार्थना कर सकती है। थरूर ने स्पष्ट किया कि पार्टी के भीतर राम मंदिर को लेकर कोई विरोध नहीं है, बल्कि विशिष्ट आयोजन को लेकर विरोध है। यह कहते हुए कि उनकी मंदिर यात्राएं प्रार्थना के लिए थीं, न कि राजनीतिक कारणों से, थरूर ने पुष्टि की कि अगर उन्हें अयोध्या जाना है, तो यह उनकी शर्तों पर होगा। उन्होंने राम मंदिर पर अपना रुख दोहराते हुए कहा कि हालांकि हर हिंदू इसकी इच्छा रख सकता है, लेकिन इसे बनाने के लिए मस्जिद को गिराने की कोई जरूरत नहीं है।

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