शायरी: जिंदगी जीने का फलसफा

 

1- और भी दुख हैं ज़माने में मोहब्बत के सिवा 

राहतें और भी हैं वस्ल की राहत के सिवा 

 

2- हम को मालूम है जन्नत की हक़ीक़त लेकिन  दिल के ख़ुश रखने को 'ग़ालिब' ये ख़याल अच्छा है 

 

3- ख़ुदी को कर बुलंद इतना कि हर तक़दीर से पहले ख़ुदा बंदे से ख़ुद पूछे बता तेरी रज़ा क्या है 

 

4- मैं अकेला ही चला था जानिब-ए-मंज़िल मगर  लोग साथ आते गए और कारवाँ बनता गया 

 

5- हज़ारों ख़्वाहिशें ऐसी कि हर ख़्वाहिश पे दम निकले  बहुत निकले मेरे अरमान लेकिन फिर भी कम निकले 

 

6- हम को मिटा सके ये ज़माने में दम नहीं  हम से ज़माना ख़ुद है ज़माने से हम नहीं 

 

7- ज़िंदगी ज़िंदा-दिली का है नाम  मुर्दा-दिल ख़ाक जिया करते हैं 

 

8- कभी किसी को मुकम्मल जहाँ नहीं मिलता  कहीं ज़मीन कहीं आसमाँ नहीं मिलता 

 

9- ये जब्र भी देखा है तारीख़ की नज़रों ने  लम्हों ने ख़ता की थी सदियों ने सज़ा पाई 

 

10- रगों में दौड़ते फिरने के हम नहीं क़ाइल  जब आँख ही से न टपका तो फिर लहू क्या है

हिंदी दिवस पर कोट्स

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डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के विचार

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