मेरी फितरत नहीं ऐसी...

1. झट से बदल दूं, इतनी न हैसियत न आदत है मेरी, रिश्ते हों या लिबास, मैं बरसों चलाता हूँ.

2. कैसे बदल दूं मैं फितरत ये अपनी, मुझे तुम्हें सोचते रहने की आदत सी हो गई है.

3. सादगी तो देखो उन नज़रो की, हमसे बचने की कोशिश में बार बार हमें ही देखती है.

4. चिलमन का उलट जाना ज़ाहिर का बहाना है, उनको तो बहर-सूरत इक जलवा दिख़ाना है.

5. वज़ाहत इसकी पूछोगे तो फिर लाज़िम है उलझोगे, ये अक्सर बे-वजह होता है जिसको इश्क़ कहते हैं.

6. ब्रेकअप का दर्द उस लड़की से पुछो, जिसे अब अपना रीचार्ज खुद करना पड़ता है.

7. कुछ मोहब्बतें इसलिए भी जुदा हो जाती हैं क्योंकि... 11th क्लास पहुँचते ही मैथ्स, बायो और कॉमर्स अलग अलग हो जाते हैं.

8. कुछ धर्म पत्नियां खाने में बहुत ज्यादा घी तेल दाल देती है , शायद उन्हें लगता है की इससे उनके पति ज्यादा माईलेज देने लगेंगे.

9. जैसे ही बीवी कहती है सोच रही हूँ मायके हो आऊँ... टिंडे की सब्जी भी पनीर लगने लगती है.

10. हे, मेरे 33 करोड़ देवी-देवताओं... मुझे यादा कुछ नहीं चाहिए... बस आप सब एक एक रुपिया दे दो

11. अगर गिलास टूटने के बाद भी घर मे खामोशी है.. तो गिलास मम्मी से टूटा है.

एक तीखी आँच ने....

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महिलाओं को समर्पित कवितायेँ

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