कहानियाँ लिखने लगा हूँ अब मैं शायरियों में अब तुम समाते ही नही हाल तो पूछ लू तेरापर डरता हूँ आवाज से तेरी ज़ब ज़ब सुनी है कमबख्त मोहब्बत ही हुई है ना सवाल बन के मिला करो,ना जवाब बन के मिला करो मेरी जिंदगी मेरा ख्वाब है,मुझे ख्वाब बन के मिला करो किसी एक से करो प्यार इतना के किसी और से प्यार करने की गुंजाइश ना रहे वो मुस्करा दे आप को देख कर एक बार तो जिंदगी से फिर कोई ख्वाहिश ना रहे बातें कुछ अनकही सी,कुछ अनसुनी सी, होने लगी काबू दिल पे रहा ना, हस्ती हमारी खोने लगी इनकार करते थे वो हमारी मोहबत से और हमारी ही तसवीर उनकी किताब से निकली शिकवे भी कर गिले भी कर या फिर चाहे नफरत. बस आरजू है कि तू यूंही रूबरू होती रहे मुझसे नादान बहुत है वो , जैसे कुछ समझती ही नहीं , सीने से लगकर पूछती है धड़कन इतनी तेज क्यों है मिल जाएँगे ‘हमारी’ भी तारीफ़ करने वाले, कोई हमारी ‘मौत’ की अफ़वाह तो फैलाओ यारों बीच में आ चुके फासलों का एहसास तब हुआ, जब हमने कहा ‘हम ठीक है और उसने मान भी लिया धडकनों की यही तो खास बात है भरे बाज़ार में भी किसी एक को सुनाई देती है. देसी जोक्स की भरमार भारतीय पड़ोसियों ने लगाईं अपनी वाली फ़िरोज़ खान और विनोद खन्ना की दोस्ती को समर्पित