चुभता तो बहुत कुछ मुझको भी है तीर की तरह, मगर ख़ामोश रहता हूँ, अपनी तक़दीर की तरह। ऊपर वाले ने कितने लोगो की तक़दीर सवारी है, काश वो एक बार मुझे भी कह दे कि आज तेरी बारी है। देख कर मेरा नसीब मेरी तक़दीर रोने लगी, लहू के अल्फाज़ देख कर तहरीर रोने लगी, हिज्र में दीवाने की हालत कुछ ऐसी हुई, सूरत को देख कर खुद तस्वीर रोने लगी। तमन्नाओ की महफ़िल तो हर कोई सजाता है, पूरी उसकी होती है जो तकदीर लेकर आता है। कभी जो मुझे हक मिला अपनी तकदीर लिखने का कसम खुदा की तेरा नाम लिख कर कलम तोड दूंगा। अफ़सोस तो है तुम्हारे बदल जाने का मगर, तुम्हारी कुछ बातों ने मुझे जीना सिखा दिया। रखते थे होठों पे उंगलियां जो मरने के नाम से, अफसोस वही लोग मेरे दिल के कातिल निकले। गम नही कि तुम बेवफा निकली, मगर अफ़सोस इस बात का है, वो सब लोग सच निकले, जिनसे मैं तेरे लिए लड़ा था। जब मुझसे मोहब्बत ही नहीं तो रोकते क्यूँ हो? तन्हाई में मेरे बारे में सोचते क्यूँ हो? जब मंजिलें ही जुदा हैं तो जाने दो मुझे... लौट के कब आओगे ये पूछते क्यूँ हो ? करें हम दुश्मनी किससे, कोई दुश्मन नहीं अपना, मोहब्बत ने नहीं छोड़ी, जगह दिल में अदावत की। दुश्मनी का सफ़र एक कदम दो कदम, तुम भी थक जाओगे, हम भी थक जाएंगे। कुछ शानदार शायरियों का कलेक्शन क्या आप जानते है शादी में क्यों जरुरी है गठबंधन दिल्ली में दिखाई दी इतनी बड़ी छिपकली कि होश उड़ गए