भारत देश धार्मिक मान्यताओं के लिए जाना जाता है, वही चैत्र के माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी को शीतला अष्टमी अथवा बसौड़ा अष्टमी के नाम से जाना जाता है। ये होली के आठ दिनों पश्चात आती है। इस बार शीतला अष्टमी 4 अप्रैल को मनाई जाएगी। इस दिन शीतला मां की उपासना की जाती है। शीतला अष्टमी के दिन व्यक्तियों के घर चूल्हा नहीं जलता। पूजा के चलते माता को बासा भोजन चढ़ाया जाता है, इसी भोजन को व्यक्ति प्रसाद के रूप में खाते हैं। जानिए इसके पीछे की प्रथा तथा शीतला अष्टमी से संबंधित विशेष बातें। शीतला अष्टमीक के दिन कहीं-कहीं माता को चावल तथा घी चढ़ाया जाता है, वहीं कुछ स्थानों पर हलवा तथा पूरी चढ़ाई जाती है। भोग के लिए जो भी चीज बनाई जाती है, उसे सप्तमी के दिन ही तैयार कर लिया जाता है। धार्मिक प्रथा है कि शीतला माता को ठंडी चीजें पसंद हैं, इसलिए उन्हें ठंडे भोजन को ही चढ़ाया जाता है तथा प्रसाद के रूप में व्यक्ति भी इस दिन ठंडा खाना ही खाते हैं। ये है वैज्ञानिक कारण: वैज्ञानिक पक्ष पर ध्यान दे तो अब ग्लोबल वॉर्मिंग के कारण बेशक मौसम का चक्र गड़बड़ हो चुका है, कभी भी सर्दी तथा गर्मी आरम्भ हो जाती है, किन्तु पहले के दौर में ठंड के मौसम का प्रभाव होली तक रहता था। शीतला अष्टमी के दिन से ग्रीष्म काल का आरम्भ हो जाता था तथा इस दिन के पश्चात् भोजन खराब होने लगता था। गर्मियों में बासा खाना खाने से रोग घेरने लगते हैं। ऐसे में शीतला अष्टमी के दिन बासा खाना खाकर ये संदेश देने का प्रयास किया जाता था कि आज बासा खाना खाने का अंतिम दिन है। इसके पश्चात् गर्मियों में केवल ताजा खाना ही खाने योग्य होगा। ये है शुभ मुहूर्त: अष्टमी तिथि शुरू: 4 अप्रैल 2021 को 04ः12 बजे से अष्टमी तिथि समाप्त: 5 अप्रैल 2021 को 02ः59 बजे तक शीतला अष्टमी पूजा मुहूर्त: सुबह 06ः08 से शाम 06ः41 तक आज इन राशिवालों का भक्ति-भाव से भरा होगा सारा दिन, यहाँ जानें क्या है आपका राशिफल जानिए आखिर क्यों खाने की थाली में तीन रोटियां रखना होता है अशुभ? इन राशिवालों में धैर्य से लेना होगा फैसला, नहीं तो बिगड़ जाएंगे काम