आप सभी को बता दें कि शीतला अष्टमी के त्योहार को बसौड़ा भी कहा जाता है और यह पर्व इस बार 15 अप्रैल को मनाया जा रहा है। आप सभी को बता दें कि इस दिन माता शीतला की पूजा की जाती है। वहीं इस दिन माता शीतला को बासी भोजन का भोग लगाया जाता है। कहते हैं कि शीतला माता का व्रत रखने से गर्मी के कारण होने वाले रोगों से मुक्ति मिलती है। तो आइए जानते हैं आज माँ शीतला की कथा. कथा- एक दिन बूढ़ी औरत और उसकी दो बहुओं ने शीतला माता का व्रत रखा. मान्यता के मुताबिक इस व्रत में बासी चावल चढ़ाए और खाए जाते हैं. लेकिन दोनों बहुओं ने सुबह ताज़ा खाना बना लिया. क्योंकि हाल ही में दोनों की संताने हुई थीं, इस वजह से दोनों को डर था कि बासी खाना उन्हें नुकसान ना पहुंचाए. सास को ताज़े खाने के बारे में पता चला तो वो बहुत नाराज़ हुई. कुछ क्षण ही गुज़रे थे, कि पता चला कि दोनों बहुओं की संतानों की अचानक मृत्यु हो गई. इस बात को जान सास ने दोनों बहुओं को घर से बाहर निकाल दिया. शवों को लेकर दोनों बहुएं घर से निकल गईं. बीच रास्ते वो विश्राम के लिए रूकीं. वहां उन दोनों को दो बहनें ओरी और शीतला मिली. दोनों ही अपने सिर में जूंओं से परेशान थी. उन बहुओं को दोनों बहनों को ऐसे देख दया आई और वो दोनों के सिर को साफ करने लगीं. कुछ देर बाद दोनों बहनों को आराम मिला, आराम मिलते ही दोनों ने उन्हें आशार्वाद दिया और कहा कि तुम्हारी गोद हरी हो जाए. ये बात सुन दोनों बुरी तरह रोने लगीं और उन्होंने महिला को अपने बच्चों के शव दिखाए. ये सब देख शीतला ने दोनों से कहा कि उन्हें उनके कर्मों का फल मिला है. ये बात सुन वो समझ गईं कि शीतला अष्टमी के दिन ताज़ा खाना बनाने की वजह से ऐसा हुआ. ये सब जान दोनों ने माता शीतला से माफी मांगी और आगे से ऐसा ना करने को कहा. इसके बाद माता ने दोनों बच्चों को फिर से जीवित कर दिया. इस दिन के बाद से पूरे गांव में शीतला माता का व्रत धूमधाम से मनाए जाने लगा. कंगाल से मालामाल हो जाएंगे आप अगर मान ली गरुड़ पुराण की यह 1 बात अगर आपके साथ हैं भगवान तो आपको मिलते हैं यह संकेत कुंवारी लड़कियों को भूल से भी छूना चाहिए शिवलिंग, जानिए क्या है वजह?