मुंबई: महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे का तख्तापलट कर सत्ता पर एकनाथ शिंदे भाजपा की मदद से सत्ता पर काबिज हुए एक महीने होने जा रहे हैं, किन्तु अभी तक कैबिनेट का विस्तार नहीं हो सका। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ही मिलकर सरकार चला रहे हैं, मगर मंत्रिमंडल को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं हो पा रही है। ऐसे में सभी के मन में एक प्रश्न उठ रहा है कि किस फॉर्मूले पर मंत्रिमंडल का गठन होगा तथा कितना बड़ा होगा। भाजपा और शिंदे गुट से कितने-कितने नेता मंत्री बनेंगे? बता दें कि महाराष्ट्र विधानसभा में कुल सदस्यों का आँकड़ा 288 है। ऐसे में संवैधानिक तौर पर 15 प्रतिशत ही मंत्री बन सकते हैं। इसका मतलब ये है कि महाराष्ट्र में अधिक से अधिक 42 लोग ही मंत्री बनाए जा सकते हैं। इसमें सीएम एवं डिप्टी सीएम सम्मिलित हैं। इस प्रकार से महाराष्ट्र मंत्रिमंडल में 40 मंत्री के लिए जगह है, किन्तु अब सवाल यही उठता है कि शिंदे सरकार अपनी मंत्रिमंडल में कितने लोगों को सम्मिलित करती है। 30 जून को एकनाथ शिंदे ने सीएम और देवेंद्र फडणवीस ने डिप्टी सीएम पद की शपथ ली थी। इस प्रकार से सरकार गठन के लगभग 26 दिन हो गए हैं, किन्तु मंत्रिमंडल विस्तार नहीं हो सका। राष्ट्रपति चुनाव के बाद महाराष्ट्र में मंत्रिमंडल गठन की बात कही जा रही थी। इस लिहाज से राष्ट्रपति चुनाव के शपथ ग्रहण समारोह भी चुका है। ऐसे में अब सभी की नजरें इस बात पर है कि मंत्रिमंडल गठन कब होगा तथा कैसे शिंदे-फडणवीस आपस में मंत्रालय का बंटवारा करते हैं। दरअसल, एक तरफ शिवसेना के बागी खेमे में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को छोड़कर 8 पूर्व मंत्री हैं। उद्धव के खिलाफ शिंदे के साथ बगावत करने वाले 9 मंत्री थे, जिनमें 5 मंत्रिमंडल एवं चार राज्यमंत्री सम्मिलित थे। ऐसे में शिंदे मुख्यमंत्री बनने के बाद 8 नेता अभी भी मंत्री बनने की राह देख रहे हैं। इसके अतिरिक्त शिवसेना के दूसरे बागी नेताओं को भी मंत्री बनाने का आश्वसन दिया गया था, जो मंत्री बनने की आस लगाए बैठे हैं। हालांकि, उद्धव ठाकरे की अगुवाई वाली महा विकास अघाड़ी सरकार में शिवसेना कोटे से 10 मंत्रिमंडल एवं चार राज्यमंत्री थे। शिंदे के साथ फिलहाल शिवसेना के 40 विधायक हैं। महाराष्ट्र में मंत्रिमंडल गठन को लेकर हलचल तेज हो गई है। ऐसे में ख़बरें है कि बागियों सहित शिंदे कैबिनेट में निर्दलीय और सरकार को समर्थन करने वाली छोटी पार्टियों के विधायकों को मंत्री बनाया जा सकता है। सूत्रों के अनुसार, शिंदे गुट अपने लिए 8 मंत्रिमंडल पद एवं 5 राज्यमंत्री का पद चाहता है। वहीं, भाजपा ने अपने कोटे के 29 मंत्रियों का लक्ष्य रखेगी। ऐसे में शिंदे गुट वर्तमान विभागों को बनाए रखने के लिए दबाव डालेगा क्योंकि उद्धव सरकार ने पिछले एक महीने में बागी मंत्रियों द्वारा लिए गए सभी फैसलों को रोक दिया था। इसके अतिरिक्त शिंदे गुट चाहता है कि निर्दलीय विधायकों को भी भाजपा के कोटे से मंत्रिमंडल में सम्मिलित किया जाए। भाजपा देखना है कि शिंदे गुट की कितनी बातों को मानती है। SSC घोटाले में बड़ा खुलासा, अर्पिता के साथ रिलेशन में थे ममता के मंत्री 'पार्थ चटर्जी', मिली ब्लैक डायरी आज़म खान की मुश्किलें फिर बढ़ीं, 10 आपराधिक मामलों में तय हुए आरोप मानसून सत्र: हंगामा करने वाले सांसदों पर एक्शन, राज्यसभा से 11 विपक्षी सांसद निलंबित