भारतीय मुक्केबाज सोमवार से शुरू हो रही पुरुषों की विश्व चैंपियनशिप के लिए जब रिंग में उतरेंगे तो उनका प्रयास बीते सत्र में हासिल किए गए एक कांस्य पदक से बेहतर प्रदर्शन करने का होगा। इस प्रतियोगिता से ओलंपिक का कोई कोटा नहीं मिलेगा लेकिन मुक्केबाज सितंबर में होने वाले एशियाई खेलों से पहले विश्व चैंपियनशिप में कड़ी चुनौती का सामना करते हुए दिखाई देने वाले है। जिससे एशियाई खेलों की उनकी तैयारी बेहतर होगी जो पेरिस ओलंपिक के लिए क्वालिफाइंग स्पर्धा है। ओलंपिक में पुरुषों के लिए संशोधित भारवर्ग 13 से घटाकर 7 किए जा चुके है। जिसमे 51 किग्रा, 57 किग्रा, 63.5 किग्रा, 71 किग्रा, 80 किग्रा, 92 किग्रा, 92 से अधिक किग्रा का भारवर्ग शामिल है। अमित पंघाल की गैरमौजूदगी में इंडिया की उम्मीदें छह बार के एशियाई चैंपियनशिप के पदक विजेता शिव थापा (63.5 किग्रा) पर टिकी होने वाली है। पंघाल ने 2019 में देश के लिए पहला सिल्वर अपने नाम किया था जबकि बीते सत्र में आकाश कुमार ने देश के लिए इकलौता पदक (कांस्य) जीता था। शिव 2015 विश्व चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीतने का स्वाद चख लिया है और वह इस बार अपने पदक का रंग बदलने के लिए बेताब होने वाले है। अब तक मिली जानकारी से पता चला है कि शिव के साथ मोहम्मद हुसामुद्दीन (57 किग्रा) और आशीष चौधरी (80 किग्रा) टीम के अन्य अनुभवी खिलाड़ी है। हुसामुद्दीन दो बार के राष्ट्रमंडल खेलों के पदक विजेता हैं जबकि आशीष एशियाई चैंपियनशिप के सिल्वर मेडल विजेता हैं। आशीष ने टोक्यो ओलंपिक में भी देश का प्रतिनिधित्व किया था। वह दूसरी बार इस प्रतियोगिता में भाग लेंगे और अपने नाम एक और बड़ा पदक जोड़ना चाहेंगे। एटलेटिको मैड्रिड में अपने नाम की एक और शानदार जीत टाईब्रेक जीतकर चीन के डिंग लीरेन ने अपने नाम किया विश्व शतरंज चैम्पियनशिप का खिताब IPL 2023: दिल्ली कैपिटल्स की 6 हार पर भड़के हरभजन सिंह, डेविड वॉर्नर को लेकर कह दी ऐसी बात