मुम्बई : चुनावों के दौरान यूपी के किसानों से किया गया कर्ज माफी का वादा बीजेपी को महाराष्ट्र में गले की हड्डी बन गया है. सरकार में सहयोगी शिवसेना ने कर्ज माफी के मुद्दे पर विपक्ष का रुख अख्तियार कर लिया है. इससे न केवल सरकारी कामकाज पर असर पड़ रहा है, बल्कि फडणवीस सरकार की मुश्किलें भी बढ़ गई है. बता दें कि राज्य के किसानों की कर्ज माफी की मांग पर शिवसेना ने अड़ियल रुख अपना लिया है. सत्ता में भागीदार होते हुए भी वह विपक्ष से मिल गई है. उसे यूपी के लिए की गई घोषणा से दिक्कत है. हालांकि, मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस का रुख तय है लेकिन महाराष्ट्र विधानसभा में ये सब तब हो रहा है जब बजट पारित करवाने के लिए बीजेपी को शिवसेना के समर्थन की जरूरत है. शायद शिवसेना जनता के बीच ये संदेश देना चाहती है कि वो सरकार में रहकर भी सरकार के खिलाफ है. शिवसेना का दावा है कि किसानों को कर्ज माफी का लालच देने से यूपी में बीजेपी जीती. अब इसी बात को शिवसेना महाराष्ट्र में दबाव की राजनीति कर भुनाना चाहती है. उल्लेखनीय है कि महाराष्ट्र देश में सबसे ज्यादा किसान आत्महत्या वाले राज्यों में शुमार है. इस बीच एसबीआई की चेयरपर्सन अरुंधति भट्टाचार्य ने कहा कि बैंक को सरकार से कर्जमाफी का रुपया मिल जाता है. लेकिन, इसके बाद जो भी कर्ज दिया जाता है. उसे लौटाने के लिए किसान अगले चुनाव तक का इंतजार करते हैं. किसानों को मदद मिलनी चाहिए लेकिन, इस तरह से नहीं कि कर्ज चुकाने का अनुशासन ही भंग हो जाए. उन्होंने यह भी कहा कि उनके बैंक को किसानों की कर्जमाफी के बारे में केंद्र से कोई प्रस्ताव नहीं मिला है. यह भी पढ़ें क्या शिवसेना-कांग्रेस रच रही है फडणवीस सरकार को गिराने की साजिश? मैं महाराष्ट्र को भिखारी बना दूंगा, पर खुद भिखारी नहीं बनूंगा