'BJP कार्यकर्ता ED-NCB की बजाय हिंदू पंडितों और सिक्खों को बचाएं': सामना

मुंबई: शिवसेना ने आज अपने मुखपत्र ‘सामना’ के संपादकीय में एक बार फिर से बीजेपी को निशाने पर लिया है। जी दरअसल सामना के जरिये केंद्र सरकार पर ज़ोरदार हमला बोला गया है। सामना में लिखा हुआ है- 'बीजेपी के कार्यकर्ताओं का अस्तित्व क्रूज पर ‘रेव’ पार्टियों में, जिस तरह से ईडी, आईटी में दिखता है, उसी तरह से वे कश्मीर घाटी में दिखाई दे। बीजेपी के कार्यकर्ता नशेड़ियों को, मादक पदार्थों का भंडार पकड़वाते हैं। ईडी की कार्रवाई को आगे बढ़ाने में मदद करते हैं। कश्मीर घाटी में वर्तमान में आतंकियों द्वारा निरपराध पंडित एवं सिखों की हत्या की जा रही है, तो इन उत्साही कार्यकर्ताओं को सीना तानकर कश्मीर में जाना चाहिए।'

इसी के साथ आगे सामना संपादकीय में लिखा हुआ है, 'आंदोलन करनेवाले किसानों को ‘शांत’ करने के लिए ‘निजी आर्मी’ बनाई जाए, ऐसी सरेआम सलाह भी इस पार्टी के नेता अपने कार्यकर्ताओं को देते हैं। हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर ने ही बीच में आंदोलन करनेवाले किसानों को ‘जस का तस’ सबक सिखाने के लिए बीजेपी के स्थानीय कार्यकर्ताओं को हर जिले में ‘डंडा फोर्स’ अर्थात निजी आर्मी तैयार करें, ऐसा कहा था। आपके इस ‘डंडा फोर्स’ का इस्तेमाल देश के गरीब और न्याय मांगनेवाले किसानों के खिलाफ करने की बजाय कश्मीर के आतंकियों के खिलाफ करें।'

वहीं आगे सामना में यह भी लिखा गया है कि, ‘ईडी, सीबीआई, आईटी जैसी एजेंसियां बीजेपी के आदेशानुसार चल रही हैं। इन जांच एजेंसियों पर मानो बीजेपी ने कब्जा जमा लिया है। फिलहाल, बीजेपी सर्वत्र दिखाई देती है। सिर्फ कश्मीर घाटी में निरपराधों की हत्या होने के दौरान केंद्र सरकार, बीजेपी का अस्तित्व नजर नहीं आता है। दूसरे राज्यों में ईडी, सीबीआई, इन्कम टैक्स आदि एजेंसियों का इस्तेमाल करके राजनीतिक विरोधियों की नब्ज दबाई जा सकती है लेकिन कश्मीर घाटी में आतंकियों के मामले में ऐसा भी नहीं किया जा सकता है। मुंबई की ‘एनसीबी’ की छापेमारी के दौरान भाजपाई कार्यकर्ताओं के शामिल होने की बात सामने आई है।’ इसी के साथ शिवसेना संपादकीय में इस बात पर जोर दिया गया है कि 'ना तो ड्रग्स की तस्करी में कोई नियंत्रण है और ना ही कश्मीर में आतंकियों पर कोई नियंत्रण है। हिंदुओं और सिक्खों की हत्याएं हो रही हैं, लेकिन केंद्र सरकार हाथ पर हाथ धरे बैठी है।'

लिखा हुआ है, 'बीते दो वर्षों में हिंदुस्तान में ड्रग्स का कारोबार सौ गुना बढ़ गया है। महीने भर पहले गुजरात में 3 हजार किलो ‘ड्रग्स’ पकड़ा गया, जिसकी कीमत लगभग 25 हजार करोड़ जितनी है। कश्मीर घाटी में रोज ही मादक पदार्थों की खेप पकड़ी जा रही है। जो पकड़ा जाता है वो दिखता है। जो चलन में, व्यवहार में आ गया वह अदृश्य ही है। कुल मिलाकर, कश्मीर के बारे में नीति स्पष्ट रूप से विफल हो गई है। ‘पाक अधिकृत कश्मीर भी हिंदुस्थान में जोड़ेंगे’ ऐसा कहकर वोट हासिल किए गए, परंतु अपने ही कश्मीर में हिंदुओं का जीना मुश्किल हो गया है। कश्मीर घाटी में बीते चार दिनों में भयंकर रक्तपात हुआ है। सात नागरिकों को आतंकियों ने दिनदहाड़े मार डाला। आतंकी गांवों में घुसते हैं, पहचान-पत्रों की जांच करके हिंदू अथवा सिखों को मार डालते हैं। कश्मीरी पंडितों की घर वापसी को लेकर भाजपा ने काफी ताम-झाम किया था, परंतु पंडितों की घर वापसी छोड़ ही दें, बल्कि बचे पंडित भी पलायन कर रहे हैं।'

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