लखनऊ: समाजवादी पार्टी (सपा) के संस्थापक और संरक्षक मुलायम सिंह यादव के देहांत के बाद अब उनकी स्मृतियां ही बाकी रह गई हैं, जिन्हें हर कोई अपने-अपने तरीके से साझा कर रहा है। मुलायम के साथ कई दशक तक कंधे से कंधा मिलाकर काम करने वाले उनके भाई शिवपाल यादव भी अपने बड़े भाई का सहारा छिन जाने से भावुक और दुखी हैं। बुधवार (12 अक्टूबर) को उन्होंने मीडिया से बात की और मुलायम के साथ बिताए गए दिनों को याद किया। शिवपाल यादव ने कहा कि, 'नेताजी ने मुझे पढ़ाया भी था। मुझे साइकिल पर बिठाकर स्कूल भी ले जाते थे। जब मुझे साइकिल चलानी आ गई, तो मैं भी उन्हें साइकिल पर बिठाकर ले जाता था।' शिवपाल ने आगे कहा कि हर मोर्चे पर, हर मौके पर हमने अभी तक जो भी निर्णय लिए हैं, वह नेताजी के कहने पर ही लिए हैं। हमने कभी भी नेताजी की किसी बात पर ना नहीं कहा है। कोई भी बात हो किसी भी प्रकार की बात हो, मैंने नहीं टाला है। यही नहीं इस मौके पर उन्होंने मुलायम सिंह यादव की अनुपस्थिति में एकता करने और सपा का संरक्षक बनने के सवाल पर भी जवाब दिया। उन्होंने कहा कि यह समय अभी इन मुद्दों पर चर्चा करने का नहीं है, जब समय आएगा तब देखा जाएगा। संरक्षक की भूमिका पर कहा कि जब जो भी जिम्मेदारी मिलेगी, वह उसे निभाएंगे। प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (प्रसपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवपाल ने कहा कि हमारे साथ जो लोग जुड़े हैं, जितने भी लोग हमारे साथ जुड़े हैं, जिन्हे कोई सम्मान नहीं मिल रहा है, जिनको कोई पूछ नहीं रहा है। उनको सबको हम एकजुट करके उनकी राय से कोई निर्णय लेंगे। उत्तर प्रदेश में हमारा दल भी है, इस पर हम भविष्य में फैसला लेंगे। अभी वक़्त नहीं है, मगर उनसे राय लेकर फैसला लिया जाएगा। शिवपाल यादव ने कहा कि नेताजी हमारे लिए पिता तुल्य थे। बचपन से लेकर आज तक हम उनकी जितनी भी सेवा कर सकते थे, हमने की है। आज हमारे मन का संसार सिकुड़-सिकुड़ा सा लगता है, क्योंकि नेताजी आज हमारे बीच नहीं हैं। नापतौल विभाग की टीम ने किया तीन ज्वेलर्स के विरूद्ध प्रकरण दर्ज 'राजेंद्र गुढ़ा बिन पेंदे के लोटे, किधर भी लुढ़क जाते हैं..', केंद्रीय मंत्री का कांग्रेस नेता पर हमला 'मैं अपने दम पर यहाँ तक पहुंचा, थरूर उस वक़्त कहाँ थे..', खड़गे के तीखे बोल