जबलपुर: मध्यप्रदेश तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ द्वारा एक विज्ञप्ति जारी की गई है। इस विज्ञप्ति में बताया गया है कि, ''म।प्र। सरकार द्वारा शैक्षणिक सत्र 2021-2022 के लिए निजी स्कूलों द्वारा ली जाने वाली फीस के लिए नई गाइडलाईन जारी न किये जाने के कारण निजी स्कूल पूरी फीस जमा करने के लिए अभिभावकों पर दबाव बना रहे हैं।'' आप सभी को बता दें कि कोरोना महामारी के कारण इस साल भी स्कूल अब तक नहीं खोले जा सके है, जबकि स्कूल प्रबंधन अभिभावकों से मनमानी फीस वसूल रहे है। इस बीच अभिभावक द्वारा स्कूल प्रबंधन को यह बताया जा रहा है कि शासन द्वारा विगत वर्ष कोरोना महामारी के कारण ऑनलाईन पढाई को देखते हुए सिर्फ ट्यूशन फीस विगत वर्षों के अनुसार लिए जाने के आदेश जारी किये थे और यही नियम इस वर्ष के लिए भी लागू हैं। लेकिन निजी स्कूल संचालकों द्वारा ट्यूशन फीस में ही अन्य शुल्क को जोड़ते हुए पैसा लिया गया है। मिली जानकारी के तहत स्कूल संचालकों द्वारा अभिभावकों को दलील दी जा रही है कि यह आदेश विगत सत्र का है इस सत्र के लिए कोई आदेश जारी नहीं किया गया है। संघ के योगन्द्र दुबे, अरवेन्द्र राजपूत, अवधेश तिवारी, आलोक अग्निहोत्री, मुकेश सिंह, दुर्गेश पाण्डेय, आशुतोष तिवारी, योगेन्द्र मिश्रा, गोविन्द बिल्थरे, आर।के।गोलाटी, श्याम नारायण तिवारी, विश्वास शर्मा, मनीष चौबे, राकेश सेंगर, राकेश राव, सतेन्द्र ठाकुर, बब्लू ठाकुर, मुकेश धनगर, प्रियाशु शुक्ला, नितिन शर्मा, राकेश दुबे, गणेश उपाध्याय, वीरेन्द्र सोनी, मो. तारिक, संतोष तिवारी, प्रथमेश साहू आदि ने एक मांग पत्र माननीय मुख्यमंत्री जी, मुख्य सचिव, मध्यप्रदेश शासन व प्रमुख सचिव, स्कूल शिक्षा को एक ई-मेल भेजा है। इसके माध्यम से निजी स्कूलों द्वारा ली जा रही मनमानी फीस पर अंकुश लगाते हुए विगत वर्ष का स्टेंडिंग आदेश को न मानने वाले निजी स्कूल संचलकों/प्रबंधक के विरूद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही की मांग की हैं। थाईलैंड में अन्य देशों के मुकाबले कोरोना से हुई सबसे अधिक मौतें प्रशिक्षण एक महत्वपूर्ण कार्यपद्धति है और भारतीय जनता पार्टी की बहुत पुरानी परम्परा है- कैलाश विजयवर्गीय जम्मू-कश्मीर में रिकवर हुआ कोरोना के 'डेल्टा प्लस वैरिएंट' का पहला मरीज