मुंबई: शिवसेना ने अपने मुखपत्र 'सामना' के संपादकीय में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी की नेतृत्व क्षमता पर सवाल खड़े किए हैं। वहीं, UPA काेेे एनजीओ की संज्ञा देते हुए शिवसेना ने इसका नेतृत्व राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) चीफ शरद पवार को सौंपने की वकालत की है। राहुल के नेतृत्व पर सवाल उठाने के बाद यह देखना दिलचस्प होगा कि शिवसेना के इस कदम का महाराष्ट्र की महाविकास अघाडी सरकार पर क्या असर पड़ता है। बता दें कि, महाराष्ट्र में शिवसेना, NCP और कांग्रेस ने मिलकर सरकार बनाई है। वहीं, वर्तमान में UPA की बागडौर कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी के हाथों में हैं। संपादकीय में शिवसेना ने कहा है कि भाजपा का विरोध करने के लिए जब तक UPA के सभी दल शामिल नहीं होंगे, तब तक विपक्ष सरकार के आगे बेअस ही दिखाई देगा। शिवसेना ने आगे कहा, प्रियंका गांधी को दिल्ली की सड़क पर हिरासत में लिया गया, राहुल गांधी का मजाक बनाया गया, यहां महाराष्ट्र में सरकार को काम करने से रोका जा रहा है, यह पूरी तरह लोकतंत्र के विरुद्ध है। शिवसेना ने विपक्ष को आड़े हाथों लेते हुए अपने संपादकीय में लिखा कि, किसानों द्वारा दिल्ली की सरहदों पर प्रदर्शन किया जा रहा है। सत्ता पक्ष को इस आंदोलन की चिंता नहीं है। सरकार के इस रवैया की वजह है, कमजोर विपक्ष। मौजूदा विपक्ष पूरी तरह बेदम है, विपक्षियों की अवस्था बंजर गांव के मुखिया का पद संभालने जैसी है। मध्य प्रदेश में भी बना लव जिहाद के खिलाफ क़ानून, शिवराज कैबिनेट ने दी हरी झंडी किसान आंदोलन पर राहुल का ट्वीट- 'मिट्टी का कण-कण गूंज रहा है, सरकार को सुनना पड़ेगा' ट्यूनीशिया ने 6 महीने और बढ़ाई आपातकाल की स्थिति