नाम गया, पहचान गई और अब दफ्तर भी.., कांग्रेस से हाथ मिलाकर अलग-थलग पड़े उद्धव ठाकरे

मुंबई: महाराष्ट्र के पूर्व सीएम उद्धव ठाकरे पर आज का दिन भारी नज़र आ रहा है। दरअसल, पार्टी का नाम 'शिवसेना' और उसका चुनाव निशान धनुष-बाण, एकनाथ शिंदे गुट को प्रदान किए जाने के फैसले को चुनौती देने वाली उद्धव की याचिका पर तत्काल सुनवाई से सुप्रीम कोर्ट ने इनकार कर दिया है। वहीं, दूसरी तरफ महाराष्ट्र विधानसभा में स्थित शिवसेना के कार्यालय को भी एकनाथ शिंदे गुट के सुपुर्द कर दिया गया है।

रिपोर्ट के अनुसार, एकनाथ शिंदे के समर्थक विधायकों ने स्पीकर राहुल नार्वेकर से मुलाकात कर इसकी मांग की थी। इसके बाद स्पीकर ने यह फैसला लिया है। इस प्रकार उद्धव ठाकरे के हाथ से पार्टी का नाम, चुनाव चिन्ह के बाद अब विधानसभा का दफ्तर भी चला गया है। इसके अलावा सर्वोच्च न्यायालय ने भी इस मामले की तत्काल सुनवाई से इनकार कर दिया है। शीर्ष अदालत ने उद्धव ठाकरे गुट के वकील से कहा कि इस मामले में फ़ौरन सुनवाई नहीं हो सकती। अदालत ने कहा है कि आप कल याचिका दाखिल करिए, फिर विचार करते हैं। 

बता दें कि, उद्धव गुट की मांग थी कि शिवसेना का नाम और निशान एकनाथ शिंदे गुट को दिए जाने के निर्वाचन आयोग के फैसले के खिलाफ फ़ौरन सुनवाई होनी चाहिए। प्रधान न्यायाधीश (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि जिस अर्जी पर फ़ौरन सुनवाई की मांग की जा रही है, वह लिस्ट में मेंशन ही नहीं थी। इसलिए कल इसे लिस्ट में मेंशन किया जाए और फिर सुनवाई के बारे में विचार किया जाएगा। इस बीच उद्धव ठाकरे गुट की याचिका के जवाब में एकनाथ शिंदे ने भी कैविएट फाइल की है। शिंदे गुट का कहना है कि उनका पक्ष सुने बगैर शिवसेना के नाम और निशान को लेकर कोई निर्णय ना दिया जाए। 

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