नई दिल्ली: इसे विडम्बना न कहा जाए तो क्या कहें, कि जिस देश में जन्म लेने से लेकर व्यक्ति की अंतिम यात्रा तक 'मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम' का नाम लाया जाता है, जहाँ लोग एक-दूसरे का अभिवादन ही 'राम-राम' से करते हैं, उसी भारतभूमि पर श्री राम को बैन करने की साजिश रची जा रही है। हैरानी की बात तो यह है कि, यह दुस्साहस करने वाले कहीं बाहर से नहीं आए हैं, वे इसी भारत की धरती पर जन्मे हैं, लेकिन अब शायद यह चाहने लगे हैं कि देश में शरिया लागू हो जाए। इसका एक उदाहरण ABP न्यूज़ की पत्रकार रुबिका लियाकत के शो से सामने आया है। जिसमे मुसलमानों के पैरोकार शोएब जमाई ऑन TV अपने मोबाइल पर एक वीडियो दिखाते हैं, जिसमे उनका छिपा हुआ मंसूबा उजागर हो जाता है। वही मंसूबा, जिसमे JNU का पूर्व छात्र शरजील इमाम असम को भारत से काटने की बात करता है। जिसमे AAP का पूर्व पार्षद ताहिर हुसैन हिन्दुओं को सबक सिखाने के लिए दिल्ली में दंगे करवाता है। इसी मंसूबे के चलते रामनवमी की शोभायात्राओं पर हमले होते हैं। यह मंसूबा है, भारत से 'राम' के नाम को मिटाने का। शोएब जमाई ने रुबिका लियाकत के शो में जो वीडियो दिखाया, उसमे लिखा था कि 'अब भारत से राम को बैन कराने का समय आ गया है।' वैसे ये आज की बात नहीं है, राम के नाम और उनकी निशानी को मिटाने की कोशिश तो बाबर के ज़माने से होती आ रही है, जब मुग़ल सेना ने अयोध्या का मंदिर तोड़कर उसपर मस्जिद बना दी थी, जिसके कई सौ सालों बाद आज कहीं श्री राम का भव्य मंदिर फिर से बन रहा है। लेकिन, इस पूरे मुद्दे पर देश के बुद्धिजीवियों का मौन, राष्ट्र के बहुसंख्यकों की भावनाओं का उपहास करता नज़र आ रहा है। 'छत पर से भी शोभायात्रा नहीं देख सकते हिन्दू, घरों पर धार्मिक ध्वज लगाना भी बैन..', राजस्थान की कांग्रेस सरकार का आदेश अब गुजरात में भी 'इस्लामी हिंसा' के कारण पलायन को मजबूर हिन्दू, रामनवमी पर पेट्रोल बम से हुआ था हमला 'रामनवमी' का जुलुस निकाल रहे हिन्दुओं पर मुस्लिमों ने बरसाए पत्थर, फेंकी कांच की बोतलें.., ओडिशा की घटना