इस समय श्राद्ध चल रहे हैं और इस दौरान ब्राह्मण भोजन का अपना ही एक अलग महत्व होता है। जी दरअसल शास्त्रानुसार ब्राह्मण पितरों के प्रतिनिधि होते हैं। कहा जाता है पितर सूक्ष्म रूप से ब्राह्मणों के मुख से ही भोजन ग्रहण करते हैं। ध्यान रहे श्राद्ध का भोजन बनाते समय कुछ नियमों का पालन करना भी जरुरी होता है। अब आज हम आपको बताने जा रहे हैं श्राद्ध में ब्राह्मण-भोजन कराने के नियमों के बारे में। 1. श्राद्ध-भोज में ब्राह्मण- श्राद्ध-भोज कराने के लिए शास्त्र में योग्य ब्राह्मण के निमंत्रण का निर्देश है- 'जो सदाचारी हो, संध्या वंदन, गायत्री व अग्निहोत्र करता हो, सत्यवादी हो, धर्मग्रंथों व शास्त्रों का ज्ञाता हो, जप-अनुष्ठान करने वाले श्रोत्रिय ब्राह्मण को ही यथासंभव श्राद्धभोज के निमंत्रण में वरीयता देनी चाहिए, इनके अभाव में किसी अन्य ब्राह्मण को आमंत्रित करना चाहिए किंतु विद्या से हीन, नास्तिक, धर्म में आस्था ना रखने वाला, व्यापार करने वाला, गुरु की निंदा करने वाला, जुआ खेलने वाला, मदिरापान करने वाला, व्यसनी व अधम ब्राह्मणों का सर्वथा त्याग करना चाहिए।' 2. श्राद्धभोज में आसन- कहा जाता है श्राद्धभोज में ऊनी, काष्ठ, कंबल, कुश व रेशम के आसन श्रेष्ठ होते हैं। 3. श्राद्धभोज में पाद प्रक्षालन- शास्त्र के अनुसार श्राद्धभोज कराने से पूर्व ब्राह्मणों के पाद-प्रक्षालन (पैर धुलाना) जरुरी होता है। 4. श्राद्धभोज में मौन की अनिवार्यता - कहा जाता है श्राद्धभोज में भोजन करते समय ब्राह्मण को मौन रहना चाहिए। 5. श्राद्धभोज में पात्र की श्रेष्ठता- श्राद्धभोज में भोजन परोसने हेतु स्वर्ण, रजत, कांस्य अथवा तांबे के पात्र क्रमश: श्रेष्ठ होते हैं। 6. श्राद्धभोज में रसोई- श्राद्धभोज में भोजन पकाते समय यदि उसमें कोई कीड़ा, मक्खी-मच्छर, बाल इत्यादि गिर जाए तो उसे पुन: प्रयोग में ना लाए। 7. भोजन के उपरांत दक्षिणा- शास्त्रानुसार भोजन के उपरांत ब्राह्मण को यथोचित दक्षिणा देना चाहिए। 'ये रिश्ता क्या कहलाता है': नायरा के भाई का टूटने वाला हैं घर, नक्क्ष के उड़ेंगे होश देश में कोरोना का कहर जारी, पीएम मोदी बोले- जब तक दवाई नहीं, तब तक ढिलाई नहीं बिहार चुनाव से पहले दरभंगा को मिलेगा बड़ा तोहफा, शुरू हो सकता है एयरपोर्ट