आप सभी को पता ही होगा कि कल राधा अष्टमी पर्व है यह पर्व हर साल भाद्रपद माह की शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है लेकिन इस साल यह पर्व 17 सितंबर 2018, सोमवार को मनाया जाने वाला है या मनाया जाएगा. आप सभी को बता दें कि अष्टमी के दिन श्रीकृष्ण की बाल सहचरी, जगजननी भगवती शक्ति राधाजी का जन्म हुआ था और राधा के बिना श्रीकृष्ण का व्यक्तित्व अपूर्ण मानी जाती है. अब अगर श्रीकृष्ण के नाम के साथ राधा को हटा दिया जाए तो श्रीकृष्ण का व्यक्तित्व माधुर्यहीन हो जाएगा और वह अकेले हो जाएंगे ऐसे में राधा के ही कारण श्रीकृष्ण रासेश्वर कहलाते हैं. तो आइए जानें कैसे कर सकते हैं आप राधाष्टमी का व्रत... सबसे पहले प्रातःकाल स्नानादि से निवृत्त हो जाएं और उसके बाद एक मंडप बनाए जिसके नीचे मंडल बनाकर उसके मध्यभाग में मिट्टी या तांबे का कलश स्थापित कर दें. उसके बाद कलश पर तांबे का पात्र रख दें. अब इस पात्र पर वस्त्राभूषण से सुसज्जित राधा जी की सोने (संभव हो तो) की मूर्ति स्थापित कर दें जिससे माहौल शांत रहेगा. अब उसके बाद राधाजी का षोडशोपचार से पूजन कर लें. इस वक्त ध्यान रहे कि पूजा का समय ठीक मध्याह्न का ही होना चाहिए वर्ण वह सफल नहीं होगी. पूजन होने के बाद पूरा उपवास करें या फिर एक समय भोजन कर लें. अब दूसरे दिन श्रद्धानुसार सुहागिन स्त्रियों तथा ब्राह्मणों को भोजन करा दें और साथ ही उन्हें दक्षिणा भी दें. हर मुश्किल काम को आसान बनाता है भोले का यह मंत्र अगर आपकी हथेली में बनता है M आकार तो जान लीजिए यह बात इस वजह से रखते हैं एकाक्षी नारियल को व्यापारिक स्थल पर