आप सभी को बता दें कि आज चतुर्थी तिथि है और इसके बुधवार को होने से इसका महत्व और भी बढ़ गया है, क्योंकि इस तिथि और वार के स्वामी भगवान श्रीगणेश ही हैं. ऐसे में साल 2020 का पहला संयोग है जब बुधवार को चतुर्थी तिथि है. अब इसके बाद 18 नवंबर को ये योग बनेगा. केवल इतना ही नहीं आज के दिन दोपहर 1.33 तक पुष्य नक्षत्र भी रहेगा. आप इस शुभ योग में भगवान श्रीगणेश की पूजा कर सकते हैं. आइए बताते हैं विधि. ‌इस विधि से करें व्रत और पूजा - आज आप स्नान के बाद अपनी इच्छा अनुसार सोने, चांदी, तांबे, पीतल या मिट्टी से बनी भगवान श्रीगणेश की प्रतिमा स्थापित करें. अब संकल्प मंत्र के बाद भगवान श्रीगणेश को सिंदूर, फूल, चावल आदि चीजें चढ़ाएं. गणेश मंत्र (ऊं गं गणपतयै नम:) बोलते हुए दूर्वा चढ़ाएं. गुड़ या बूंदी के 21 लड्डुओं का भोग लगाएं. इसके बाद 5 लड्डू मूर्ति के पास रख दें तथा 5 ब्राह्मण को दान कर दें. शेष लड्डू प्रसाद के रूप में बांट दें. पूजा के बाद श्रीगणेश स्त्रोत, अथर्वशीर्ष, संकटनाशक स्त्रोत आदि का पाठ करें. अब ब्राह्मणों को भोजन कराएं और उन्हें दक्षिणा देने बाद शाम को चंद्रमा निकलने के बाद स्वयं भोजन करें. संभव हो तो उपवास करें. जी दरअसल कहा जाता है इस व्रत का आस्था और श्रद्धा से पालन करने पर भगवान श्रीगणेश की कृपा से मनोरथ पूरे होते हैं और जीवन में निरंतर सफलता प्राप्त होती है और इसी के साथ भगवान गणेश का आशीर्वाद सदैव बना रहता है. गुप्त नवरात्र के पहले दिन जरूर करें माँ शैलपुत्री की आरती हनुमान चालीसा के इन दोहों के जाप से होते हैं बड़े फायदे पानी है शनि देव की कृपा तो जरूर करें यह आरती