अष्ट चिरंजीव में से एक हैं भगवान श्री हनुमान, सिंदूर लगाने पर देते हैं वरदान

भगवान श्री हनुमान जी को अष्ट चिरंजीवी में से एक माना गया है। कहा जाता है कि भगवान श्री हनुमान आज भी जागृत अवस्था में हैं और उनका निवास गंधमार्दन पर्वत पर हैं। कलियुग में श्री हनुमान जी की आराधना को समस्त पापों का नाशक होने का कारक कहा जाता है। श्री हनुमान जी को शनिवार और मंगलवार को चोला चढ़ाया जाता है। धार्मिक और ज्योतिषीय मान्यता है कि यदि किसी व्यक्ति को शनि की साढ़े साती की पीड़ा हो तो फिर वह हनुमान जी की मूर्ति पर चोला चढ़ाए तो उसे विशेष लाभ होता है।

भगवान श्री हनुमान जी यूं भी श्री शिव जी के एकादश रूद्रावतार माने जाते हैं। मान्यता के अनुसार रविवार, सोमवार, बुधवार, गुरूवार, शुक्रवार और अन्य वारों के दिन भगवान को चोला चढ़ाया जा सकता है लेकिन श्रद्धालु शनिवार और मंगलवार को चोला चढ़ाते हैं। मान्यता के अनुसार चोला श्री हनमान जी को समर्पित करने के पीछे कारण है कि एक दिन माता सीता जी अपनी मांग में सिंदूर भर रही थीं इसी दौरान हनुमानजी आ गए और उन्होंने इसका कारण पूछा।

इस पर माता ने कहा कि प्रभु श्री राम माता सीता को इस सिंदूर के कारण प्रेम करते हैं और यह सिंदूर उन दोनों के प्रेम का कारण है। इसके बाद श्री हनुमान जी ने अपने सारे शरीर पर सिंदूर मल दिया। इसके बाद भगवान श्री राम और माता सीता ने प्रसन्न होकर

उन्हें आशीर्वाद दिया कि जो भी कलियुग में तुम्हारा स्मरण करते हुए तुम्हारे नाम से बनी शिला या मूर्ति पर सिंदूर चढ़ाएगा या तुम्हारे नाम से सिंदूर चढ़ाएगा उस पर हमारी विशेष कृपा होगी और उसे भगवान श्री राम का आशीर्वाद भी मिलेगा। इसके बाद से कलियुग में भगवान श्री हनुमान जी की मूर्ति पर सिंदूर चढ़ाया जाने लगा। सिंदूर चढ़ाने के साथ ही मूर्ति को गंगा जल से स्नान करवाना और पीपल के पत्ते पर राम नाम लिखकर माला बनाना भी एक अच्छा उपाय होता है।

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