भाद्रपद की शुक्ल अष्टमी के दिन से श्री महालक्ष्मी व्रत शुरू होता है और उसके बाद यह (Mahalaxmi Puja) सोलह दिनों तक चलता है। वहीं इस व्रत में मां लक्ष्मी का विधि-विधान से पूजन किया जाता है। अब आज हम आपको बताने जा रहे हैं महालक्ष्मी स्त्रोत। कहा जाता है इस स्त्रोत के पाठ से घर में सुख शांति आती है और इसी के साथ धन भी तेजी से आना शुरू हो जाता है। कहा जाता है माता लक्ष्मी समस्त संसार को धन, वैभव, ऐश्चर्य, संपदा, समृद्धि, सुख, यश, बुद्धि, ओज आदि गुणों से परिपूर्ण करती हैं। वहीं धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जो व्यक्ति दिन में एक बार महालक्ष्मी स्तोत्र का पाठ करता है, उसके सभी पाप नष्ट होते हैं। वहीं जो दिन में दो बार महालक्ष्मी स्तोत्र का पाठ करता है, उसे धन और धान्य की प्राप्ति होती है। इसके अलावा जो दिन में तीन बार महालक्ष्मी स्तोत्र का पाठ करता है, उस पर माता महालक्ष्मी हमेशा प्रसन्न रहती हैं। अब आइए बताते हैं महालक्ष्मी स्तोत्र। महालक्ष्मी स्त्रोत- नमस्तेऽस्तु महामाये श्रीपीठे सुरपूजिते। शंखचक्रगदाहस्ते महालक्ष्मी नमोऽस्तु ते।। नमस्ते गरुडारूढे कोलासुरभयंकरि। सर्वपापहरे देवि महालक्ष्मी नमोऽस्तु ते।। सर्वज्ञे सर्ववरदे देवी सर्वदुष्टभयंकरि। सर्वदु:खहरे देवि महालक्ष्मी नमोऽस्तु ते।। सिद्धिबुद्धिप्रदे देवि भुक्तिमुक्तिप्रदायिनि। मन्त्रपूते सदा देवि महालक्ष्मी नमोऽस्तु ते।। आद्यन्तरहिते देवि आद्यशक्तिमहेश्वरि। योगजे योगसम्भूते महालक्ष्मी नमोऽस्तु ते।। स्थूलसूक्ष्ममहारौद्रे महाशक्तिमहोदरे। महापापहरे देवि महालक्ष्मी नमोऽस्तु ते।। पद्मासनस्थिते देवि परब्रह्मस्वरूपिणी। परमेशि जगन्मातर्महालक्ष्मी नमोऽस्तु ते।। श्वेताम्बरधरे देवि नानालंकारभूषिते। जगत्स्थिते जगन्मातर्महालक्ष्मी नमोऽस्तु ते।। महालक्ष्म्यष्टकं स्तोत्रं य: पठेद्भक्तिमान्नर:। सर्वसिद्धिमवाप्नोति राज्यं प्राप्नोति सर्वदा।। एककाले पठेन्नित्यं महापापविनाशनम्। द्विकालं य: पठेन्नित्यं धन्यधान्यसमन्वित:।। त्रिकालं य: पठेन्नित्यं महाशत्रुविनाशनम्। महालक्ष्मीर्भवेन्नित्यं प्रसन्ना वरदा शुभा।। इन 5 राशियों के लिए काल बने हैं शनि देव, चल रही है साढ़ेसाती और ढैय्या 3 सितंबर को है संतान सप्तमी, जानिए महत्व और शुभ मुहूर्त इन 3 राशिवालों के लिए सबसे अच्छा होगा सितंबर का महीना, हो जाएंगे मालामाल