नवरात्रि का पर्व चल रहा है और इस पर्व के दौरान माता रानी का पूजन किया जाता है। कहा जाता है माँ दुर्गा के नौ स्वरूप है। वहीँ अगर हम शक्तिपीठो के बारे में बात करें तो माँ के 52 शक्तिपीठ हैं। इसमें से आज हम आपको बताने जा रहे हैं विमला देवी शक्तिपीठ के बारे में। यह उड़ीसा में स्थित है जहाँ उत्कल में देवी की नाभि गिरी थी। यहां माता विमला नाम से जानी जाती हैं। वहीँ मुर्शीदाबाद के किरीटकोण ग्राम में देवी सती का मुकुट गिरा था। 'तुमने सास-बहू बनाकर TV का सत्यानाश कर दिया', एकता कपूर पर भड़के मुकेश खन्ना जी हाँ और यहां माता का शक्तिपीठ है और माता के विमला स्वरूप की पूजा की जाती है। जी दरअसल पौराणिक मान्यताओं के अनुसार देवी विमला जगन्नाथ पुरी की अधिष्ठात्री देवी हैं। जी हाँ और यह उनका तीर्थ क्षेत्र है। विमला देवी को सती का आदिशक्ति स्वरूप माना जाता है और भगवान विष्णु उन्हें अपनी बहन मानते हैं। कहा जाता है पुरी में जगन्नाथ मन्दिर के प्रांगण में स्थित है अति प्राचीन विमला देवी आदि शक्तिपीठ। जी हाँ और ऐसी मान्यता है कि यहां पर मां सती की नाभि गिरी थी। विचित्र और गुप्त तरह से होती है मां पाटन देवी की पूजा, यहाँ कर्ण स्नान करने से दूर हो जाता है कुष्ठ रोग कहा जाता है इस शक्तिपीठ में मां सती को 'विमला' और भगवान शिव को 'जगत' कहा जाता है। देवी सती देवी शक्ति (सद्भाव की देवी) का अवतार हैं। इसके अलावा यहाँ माता को तरह-तरह के 56 प्रकार के नैवेद्यों का भोग लगाया जाता है। जी हाँ और इसी भोग को महाप्रसाद कहते हैं। हालाँकि यहाँ भगवान जगन्नाथ से पहले भोग माता विमला देवी ग्रहण करती हैं। यह एक बड़ा रहस्य है। कुरुक्षेत्र में गिरी थी मातारानी की एड़ी, आज कहलाता है भद्रकाली पीठ मां ज्वाला देवी को बुझाने में असफल हुआ था अकबर, हारकर चढ़ाया था स्वर्ण छत्र नवरात्रि: नेत्रों का है विकार तो जरूर करें नैनादेवी मंदिर के दर्शन