श्रीकृष्ण और राधा का प्यार अमर और महान था, इनके प्यार की मिसाल दी जाती है. श्रीकृष्ण की पत्नी होने के बावजूद हर घर राधा को ही श्रीकृष्ण के साथ पूजा जाता है. अगर विवाह की बात करे तो पुराणों के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण ने 8 स्त्रियों से विवाह किया था, जो उनकी पटरानियां थी. ये थी रुक्मिणी, जाम्बवती, सत्यभामा, कालिंदी, मित्रवंदा, सत्य, भद्रा और लक्षमण. इनमे से कुछ खास विवाह की कहानियां आपके सामने रुक्मिणी रुक्मिणी विदर्भ राज्य का राजा भीष्म की पुत्री थी. नारद जी द्वारा श्रीकृष्ण के गुणों सा वर्णन सुनने पर रुक्मिणी के ह्रदय में श्रीकृष्ण से ही विवाह करने की कामना पलने लगी. रुक्मिणी का एक भाई रुक्मि, उसने रुक्मिणी का विवाह शिशुपाल से साथ तय कर दिया था. जब यह बात श्रीकृष्ण को पता चली तो वे विवाह से एक दिन पहले बलपूर्वक रुक्मिणी का हरण कर द्वारका ले गए, जहा उनका विवाह हुआ. जाम्बवंती सत्राजित नामक यादव था जो सूर्य देव की भक्ति कर एक मणि प्राप्त की जिसे उनके भाई प्रसेन से एक शेर ने वध कर छीन ली. जब मणि और प्रसेन की हत्या का आरोप श्रीकृष्ण पर दोष लगा तो वह उसकी तलाश में निकल गए. इस मणि को ऋक्षराज जाम्बवन्त ने शेर का वध हासिल कर ली. श्रीकृष्ण और जाम्बवन्त के बीच जब युद्ध हुआ और उन्हें श्रीकृष्ण के विष्णु अवतार के बारे में पता चला तो उन्होंने क्षमा याचना कर अपनी पुत्री जाम्बवंती का विवाह श्रीकृष्ण से करवा दिया. जब यह मणि लेकर श्रीकृष्ण द्वारका पहुंचे, और वह मणि सत्राजित को दी. श्रीकृष्ण के निर्दोष साबित होने पर सत्राजित ने अपनी पुत्री सत्यभामा का विवाह श्रीकृष्ण के साथ कर दिया. कालिंदी क बार की बात है जब अर्जुन और श्रीकृष्ण दोनों यमुना नदीं के किनार बैठे, वहां पर श्रीकृष्ण और अर्जुन को एक युवती तपस्या करती हुई दिखाई दी, पूछे जाने पर उन्हें जानकारी मिली की वह युवती सूर्यपुत्री कालिन्दी है जो भगवान विष्णु को पति रूप में पाने के लिए तपस्या कर रही थी. यह बात जान कर भगवान कृष्ण ने कालिन्दी को अपने भगवान विष्णु के अवतार होने की बात बताई और उसे अपने साथ द्वारका ले जाकर विवाह किया. ये भी पढ़े होली की रात करे इस मंत्र का जाप होली पर पाए महालक्ष्मी की कृपा होली के दिन करे ये तांत्रिक उपाय