गुरु को सम्मान देने अवंतिका नगरी पधारे थे श्रीकृष्ण

उज्जैन। ज्ञान का घमंड नहीं होना चाहिये, प्रेम के द्वारा ही संसार को जीता जा सकता है। गुरू को सम्मान देेन के लिए भगवान श्रीकृष्ण स्वयं अवंतिका नगरी में गुरू सांदीपनि आश्रम में आकर रहे और यहीं उन्होंने 64 कलाओं को सीखा। 

उक्त बात छत्री चौक पानी की टंकी के सामने स्थित मंत्री लाॅज में चल रही श्रीमद् भागवत ज्ञान महोत्सव में छठे दिन रुक्मणी विवाह के अवसर पर भागवताचार्य सुधीर पंड्या ने कही। आपने कहा कि आज हनुमान जयंती नहीं जन्मोत्सव मनाईये।

क्योंकि हनुमान जयंती कभी नहीं होती, हनुमान आज भी साक्षात् है इसलिए उनकी जयंती नहीं जन्मोत्सव मनाइये। कथा समापन पर रामगोपाल मंत्री, दिनेश सुखनंदन जोशीअमृत जैन, अमरचंद्र सोनी, मनमोहन मंत्री, मंगल भट्टर, संजय बजाज आदि ने आरती की।

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