हिन्दू धर्म में श्रीमद् भगवद्गीता का बहुत महत्व है. श्रीमद् भगवद्गीता वह है जिसका महत्व भगवान श्रीकृष्ण ने महाभारत के समय अपने मित्र अर्जुन को बताया था. इसमें बताये गये महत्व को हर व्यक्ति याद रखता है और अपने जीवन में भी अपनाता है. इसमें कही गई हर बात से हमे बहुत कुछ सीखने को मिलता है. आपने भी श्रीमद् भगवद्गीता के कई श्लोक सुने होंगे जिनका आपके जीवन में काफी महत्व भी होगा. इसके अलावा हम आपको ये बताने जा रहे हैं कि श्रीमद् भगवद्गीता से आपको और क्या सीख मिलती है. आइये जाने हैं इसकी 8 बातें- 1. मनुष्य विश्वास से बनता है, विश्वस जैसा होगा वैसे ही आप होंगे - इसका अर्थ है आप जैसा सोचते हैं वैसा ही होता. अगर आप खुश हैं तो कुछ भी आपको दुखी नहीं कर सकता है और अगर आप दुखी हैं तो हर अच्छी बात भी आपको दुखी करेगी. 2. कर्म करो, फल की चिंता नहीं - इस बात को सभी जानते हैं और ये बहुत ही महत्व भी रखती है. भगवद्गीता में यही कहा गया है आप किसी से कोई अपेक्षा ना रखो. आप सिर्फ अपना काम करो उसका फल आपको जरूर मिलेगा. 3. ज़िन्दगी एक यात्रा है - भगवद्गीता में कहा गया है ज़िन्दगी एक यात्रा है ना कि कोई मंज़िल. यात्रा करने से ही आपको ख़ुशी मिलेगी ना कि अच्छी मंज़िल पा लेने से. 4. संदेह - कभी व्यर्थ संदेह ना करें. इससे आपको पूरे जीवन में कभी ख़ुशी नहीं मिलेगी ना इस लोक में ना ही परलोक में. संदेह हमे डरपोक बनाता है और मेहनती होते हुए भी हमें आपकी मंज़िल तक नहीं पहुंचता. 5. विचार - मनुष्य के विचार ही उसे ऊपर भी उठाते हैं और उसे नीचे भी गिराते हैं. इसी के कारण मनुष्य अपना ही शत्रु भी है और मित्र भी है. 6. सबसे अच्छा मित्र - खुद पर आपको यकीन रखना होगा, क्योंकि आप ही खुद के सबसे अच्छे मित्र हैं ना कि कोई और. आपकी परेशानी का हल आपके ही पास होता है. इसलिए कभी भी अपनी परेशानी किसी के सामने ना रखें. 7. आत्मा न जन्म लेती है और न मरती है - भगवद्गीता में इस पंक्ति का बहुत महत्व है. भगवान श्री कृष्णा ने कहा है आत्मा अजर है, अमर है. ये ना तो मरती है ना ही जन्म लेती है मरता है तो सिर्फ शरीर. 8. भय और चिंता दो शत्रु हैं - डर से मनुष्य कभी आगे नहीं बढ़ सकता. साथ ही भय और चिंता आपके आज को कभी खत्म कर देती है. जितना हो इन सब से दूर रहा जाए जो आपके सुख शांति का भी शत्रु है. कालाष्टमी व्रत से दूर होंगे आपके सभी कष्ट सबसे अलग हैं हनुमान जी के ये तीन मंदिर इस मंदिर में दाढ़ी-मूछ में पूजे जाते हैं बालाजी