डोकलाम विवाद को लेकर चीन की तरफ से दी गई गीदड़ भभकी और भारतीय सेना को पीछे हटने की मांग के बावजूद सिक्किम-तिब्बत-भूटान तिराहे के नजदीक भारतीय सैनिक रणनीतिक जमीन की सुरक्षा के लिए तैनात रहने के पीछे कुछ ऐसे कारण हैं जो हट जाने पर भविष्य में भारत के लिए नुकसानदेह साबित हो सकते हैं. इसीलिए भारत ने अपने कदम पीछे नहीं खींचे हैं. बता दें कि भूटान में डोकलाम के पहाड़ी इलाके के इस भूभाग पर चीन सड़क बनाना चाहता है. अगर वह इसमें सफल हो जाता है तो सिलीगुड़ी के साथ उसका कॉरिडर भी अतिसंवेदनशील हो जाएंगे. यहां से चीनी सैनिक पूरी तरह से भारतीय सीमा में घुस सकते हैं.उधर असम की तरफ जाने वाली सड़क भी इलाके की संकरी रेखा से गुजरती है. जो पश्चिम बंगाल को उत्तर-पूर्व से जोड़ती है. यहां कोई भी खतरा बागडोगरा से गुवाहाटी तक के इलाके के सतही संपर्क को खत्म कर सकता है .इसीलिए चीनी हस्तक्षेप को रोकने के लिए भारत चीन की ओर से बिना किसी ठोस पहल के पहले पीछे नहीं हटना चाहता. उल्लेखनीय है कि भूटान ने अपने इलाके में चीनी घुसपैठ का कड़ा विरोध किया था. यदि इस इलाके को विवादित मान भी लें तो भी चीन के इस एकतरफा कदम ने भारत से हुए समझौतों का उल्लंघन करने के साथ ही भूटान के प्रभुत्व को भी प्रभावित किया है. चीन के उद्देश्य को भारत जानता है. दरअसल चीन सड़क परियोजना के जरिए और अपने सैनिकों को आज्ञा के बिना असामान्य प्रवेश करा कर वह भारत की मोर्चाबंदी और प्रतिक्रिया का परीक्षण करना चाहता था. चीन का मैदानी स्थिति पर पुनर्निर्माण करने का मकसद इलाके पर निर्णायक पकड़ बनाने के साथ ही भारत और चीन की अनिश्चित सीमाई इलाकों को अपने कब्जे में लेना था. लेकिन उसके मंसूबे भारत ने पूरे नहीं होने दिए .इस मुद्दे पर दोनों देशों की तरफ से हो रही रस्साकशी और भारत के रुख व बयानों के कारण गंभीर कूटनीतिक संघर्ष देखने को मिल सकता है. यह भी देखें भारत को डराने के लिए चीन ने किया युद्धाभ्यास भारत-चीन में बड़ा तनाव, चीन ने लगाया पंचशील समझौता तोड़ने का आरोप