गाना गाने के साथ-साथ अभिनय की दुनिया में भी छाए थे मुकेश चंद्र माथुर

बॉलीवुड के लोकप्रिय गायक मुकेश चंद्र माथुर को गुजरे हुए 44 वर्ष हो गए हैं. 22 जुलाई 1923 को दिल्ली में पैदा हुए मुकेश को अभिनेता राज कपूर की आवाज के रूप में पहचाना जाता था. यही वजह है कि 27 अगस्त 1976 को जब उनका देहांत हुआ तो राज कपूर ने बोला था, "मैंने अपनी आवाज को खो दिया. " मुकेश ने अपने गायिकी करियर में 'नैना हैं जादू भरे...', 'मुझको इस रात की तनहाई में...', 'वक्त करता जो वफा...' , 'दीवानों से ये मत पूछो...', 'कोई जब तुम्हारा ह्रदय तोड़ दे...', और 'जानें कहां गए वो दिन' जैसे कई लोकप्रिय गाने बॉलीवुड को दिए हैं. साल 1974 में मूवी 'रजनीगंधा' के गाने 'कई बार यूं ही देखा है' के लिए उन्हें नेशनल अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था. इसके अलावा भी कई नॉमिनेशंस और अवॉर्ड्स इस गाने के लिए मुकेश को मिले थे. गायक को  4 बार फिल्मफेयर का बेस्ट सिंगर अवॉर्ड भी मिला था.

इसी दौरान उन्होंने व्वाइस रिकॉर्डिंग प्रारंभ की और धीरे-धीरे गायन के फील्ड में आ गए. गुजरे जमाने के पॉपुलर अभिनेता मोतीलाल ने सर्वप्रथम मुकेश की आवाज को तब नोटिस किया, जब वे अपनी बहन की विवाह में गा रहे थे. इसके बाद मोती मुकेश को मुंबई ले आए और पंडित जगन्नाथ प्रसाद से उन्हें गायन की शिक्षा दिलवाई.

साल 1941 में मूवी 'निर्दोष' में उन्होंने बतौर अभिनेता कार्य किया. इस वक्त एक गाना 'दिल ही बुझा' भी उन्होंने गाया था. लेकिन, बतौर गायक मुकेश को पहला ब्रेक मोतीलाल की मूवी 'पहली नजर' (1945) में मिला. इस मूवी का गाना 'दिल जलता है तो जलने दे' काफी फेमस हुआ. इसके बाद गायक ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. 

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