चंडीगढ़: हरियाणा क्राइम ब्रांच ने शुक्रवार (22 सितंबर) को नूंह हिंसा मामले में एक चौंकाने वाला खुलासा किया, जिसमें इस साल 31 जुलाई को सैकड़ों मुस्लिम दंगाइयों की भीड़ ने बृजमंडल जलाभिषेक यात्रा में भाग लेने वाले हिंदू श्रद्धालुओं पर हमला कर दिया था। जिसके कारण यात्रा अधूरी रह गई थी। नूंह हिंसा के एक महीने बाद, विश्व हिंदू परिषद (VHP) और बजरंग दल के नेतृत्व वाले हिंदू संगठनों ने घोषणा की थी कि वह 28 अगस्त को हरियाणा के नूंह में अपनी प्रस्तावित यात्रा को आगे बढ़ाएंगे, जिसे हमले के कारण रोक दिया गया था। इस यात्रा (28 अगस्त) से एक दिन पहले गुरुग्राम के सेक्टर 69 इलाके में झुग्गी बस्ती में पोस्टर सामने आए थे, जिसमें मुसलमानों को 28 अगस्त तक इलाका खाली करने या परिणाम भुगतने की धमकी दी गई थी। पोस्टरों पर बजरंग दल और VHP का नाम लिखा हुआ था। इन पोस्टर्स में मुस्लिमों को लेकर बेहद आपत्तिजनक बातें लिखी गईं थी, जिसमे मुस्लिम बहन-बेटियों के बलात्कार तक की बातें शामिल थी। इन पोस्टर्स के सामने आने के बाद कई मीडिया संस्थानों ने इसे इसी तरह छापा कि, बजरंग दल और VHP के लोगों ने मुस्लिम लड़कियों के बलात्कार की धमकियाँ दी हैं। हालाँकि, गुरुग्राम पुलिस की क्राइम ब्रांच ने बड़ा खुलासा करते हुए बताया है कि दूसरी जलाभिषेक यात्रा (28 अगस्त) से एक दिन पहले सेक्टर 69 में मुसलमानों को क्षेत्र छोड़ने की धमकी देने वाले पोस्टर वास्तव में ''आसिफ'' नाम के एक स्क्रैप डीलर द्वारा लगाए गए थे, किसी बजरंग दल या VHP के सदस्यों ने नहीं। गुरुग्राम पुलिस ने आसिफ को गिरफ्तार किया था, जिसने अपराध कबूल कर लिया था। इन पोस्टर्स ने एक बार फिर दंगाइयों और वामपंथी मीडिया के लिए मंच तैयार किया था, ताकि वे हमला करने के बाद भी मुसलमानों को पीड़ित और हिंदुओं को हमलावर साबित कर सकें। तक़रीबन सभी वामपंथी मीडिया आउटलेट्स, जिन्होंने नूंह शोभायात्रा पर हमले के दौरान इन पोस्टर्स वाली खबर को जोरशोर से फैलाया था और शोभायात्रा पर हमला करने वाले दंगाइयों को ही पीड़ित साबित करने की कोशिश की थी। इससे पहले मोनू मानेसर का नाम घसीटा गया, जबकि वो शोभायात्रा में नूंह गया ही नहीं था । एक इस्लामवादी सोशल मीडिया चैनल मुस्लिम स्पेस ने भी उन मुस्लिम निवासियों के प्रति सहानुभूति व्यक्त की, जिन्होंने दावा किया था कि VHP शोभा यात्रा से पहले धमकी भरे पोस्टर आने के बाद उन्हें भागने के लिए मजबूर होना पड़ा है। औपचारिक रूप से ट्विटर पर एक्स पर मुस्लिम स्पेस पोस्ट में लिखा था कि, 'प्रवासी मुस्लिम मजदूरों को धमकी दी गई और उन्हें 2 दिनों के भीतर अपनी झुग्गियां खाली करने के लिए कहा गया, अन्यथा उन्हें जिंदा जला दिया जाएगा।' मतलब इसका पूरा प्लान बना लिया गया था कि, शोभायात्रा निकालने वाले जिन श्रद्धालुओं पर हमला हुआ था, उन्हें ही गुंडा साबित कर दिया जाए और वास्तविक हमलावरों को बेकसूर और डरा हुआ नागरिक। अब, पूछताछ के दौरान, इलाके के एक स्थानीय कबाड़ व्यापारी आसिफ ने कबूल किया कि उसने व्यावसायिक प्रतिद्वंद्विता के कारण मोज़ेद के घर और कबाड़ी के बाहर इस तरह का पोस्टर लगाया था। आसिफ ने पुलिस को बताया कि नूंह हिंसा के बाद हिंदू संगठनों ने घोषणा की थी कि वे 28 अगस्त को नल्हरेश्वर मंदिर में जाकर जलाभिषेक करेंगे। उस वक्त माहौल तनावपूर्ण था। उसने इसका भी फायदा उठाया और अन्य स्क्रैप डीलरों की दुकानों और घरों के बाहर धमकी भरे पोस्टर लगाने की सोची, ताकि उन्हें डरा दिया जाए और आसिफ को व्यवसाय में एकाधिकार मिल सके। आसिफ ने कहा कि उसे पता था कि 31 जुलाई को नूंह में बृजमंडल यात्रा के पर हुए हमले के बाद हिंदू संगठन गुस्से में थे, इसलिए उन्होंने जानबूझकर पोस्टरों पर उनके नाम का इस्तेमाल किया। बता दें कि, आसिफ पुलिस के रडार पर तब आया, जब मोजेद ने अपनी शिकायत में उल्लेख किया कि पोस्टर सामने आने से दो दिन पहले आसिफ ने उसे धमकी दी थी। जिसके बाद आसिफ ने सब उगल दिया। हालाँकि, आसिफ अभी व्यावसायिक प्रतिद्वंद्विता की बात कह रहा है, लेकिन सच्चाई कुछ और हो सकती है। कई मामलों में हम देख चुके हैं कि, दंगाई लोग, शोभायात्रा निकालने वाले श्रद्धालुओं पर हमला करने के बाद इस तरह के पैंतरे अज़माते हैं। गत वर्ष दुर्गा पूजा के दौरान बांग्लादेश में हिंसा भड़की थी, जिसमे कई हिन्दुओं को मार डाला गया था और कई महिलाओं का बलात्कार हुआ था। ये सब किया गया था 'कुरान के अपमान' के नाम पर। दो लोगों ने यह बात फैलाई थी कि, हिन्दुओं ने दुर्गा पंडाल में देवी के पैरों के पास कुरान रखकर उसका अपमान किया है और इसके बाद हिन्दुओं का कत्लेआम शुरू हो गया था। जब जांच हुई तो पता चला कि, दुर्गा पंडाल में कुरान इक़बाल नाम के एक शख्स ने रखी थी और उसी ने फिर बाहर जाकर दूसरे मुस्लिमों को कुरान का अपमान किए जाने की बात बताई। वो हिन्दू, जिन्होंने किया कुछ न था, उन्हें अपनी जान से हाथ धोना पड़ा। नूंह शोभायात्रा पर हमला:- 31 जुलाई को सावन सोमवार के दिन हरियाणा के मेवात के नूंह में सैकड़ों मुस्लिम दंगाइयों की भीड़ ने प्राचीन शिव मंदिर पर जल चढाने जा रही बृजमंडल जलाभिषेक यात्रा में शामिल हिंदू श्रद्धालुओं पर हमला कर दिया था। दंगों के परिणामस्वरूप कम से कम छह लोग मारे गए थे, जिसमे दो होम गार्ड के जवान भी शामिल थे। साथ ही दंगाइयों ने 80 से अधिक वाहनों में आग लगा दी थी, जिसमे पुलिस के वाहन भी शामिल थे। हिंसा के दौरान मौके पर तैनात ड्यूटी मजिस्ट्रेट अदीब हुसैन ने इसको लेकर एक FIR दर्ज कराई है। अपनी शिकायत में अदीब हुसैन (FIR of Nuh Violence) ने जानकारी दी है कि वह मैनेजिंग ऑफिसर ओमबीर सिंह के साथ ड्यूटी पर मौजूद थे। इसी बीच एक समुदाय (मुस्लिम) के 400-500 दंगाइयों ने श्रद्धालुओं और पुलिसकर्मियों पर पत्थरबाज़ी और अवैध हथियारों से फायरिंग करना शुरू कर दिया। भीड़ का इरादा जान से मारने का था। दंगाइयों ने सरकारी और निजी वाहनों को आग के हवाले कर दिया। हमले के वक़्त हुसैन और ओमबीर सिंह नूहं बस स्टैंड पर मौजूद थे। उन्हें सूचना मिली थी कि सैकड़ों दंगाइयों ने 35-40 श्रद्धालुओं पर हमला कर उन्हें वार्ड क्रमांक 9 में स्थित राम मंदिर के अंदर बंधक बना लिया है। अदीब हुसैन ने अपनी शिकायत (FIR of Nuh Violence) में बताया है कि दंगाई, श्रद्धालुओं को राम मंदिर परिसर से बाहर नहीं निकलने दे रहे थे। जब वे (हुसैन) मौके पहुँचे, तो 400-500 दंगाइयों ने लाठी, डंडे, पत्थर और अवैध हथियारों के साथ उन्हें मारने के लिए उन पर फायरिंग शुरू कर दी। इस दौरान अदीब हुसैन ने ओमबीर सिंह व अन्य पुलिस अधिकारियों को दंगाइयों को तितर-बितर करने के लिए उचित बल का इस्तेमाल करने का आदेश दिया। इसमें उन्हें सफलता भी मिली। दंगाई वहां से भागे। जिसके बाद पुलिस बल ने किसी तरह बंधक बने श्रद्धालुओं को वहां से मुक्त कराया। FIR में यह भी स्पष्ट लिखा हुआ है कि, दंगाई अल्लाह हु अकबर के नारे लगा रहे थे। इसके बावजूद दंगाइयों को पीड़ित और पीड़ितों को हमलावर बताने की पूरी कोशिश की गई। शायद इसे ही वोट बैंक पॉलिटिक्स और नैरेटिव सेट करना कहते हैं। केरल में कट्टरपंथियों ने सेना के जवान को बाँध कर पीटा ! पीठ पर लिख दिया कट्टरपंथी संगठन PFI का नाम, सरकार पर उठे सवाल सिद्धू मूसेवाला के पिता ने क्यों किया मोदी सरकार का समर्थन ? पंजाब की AAP सरकार पर साधा निशाना केरल के CM पिनाराई विजयन के खिलाफ कौनसा केस लड़ रहे थे RTI एक्टिविस्ट गिरीश बाबू ? सुनवाई से पहले ही हो गई मौत !